कांग्रेस के अंदर एसआईआर को लेकर एक बेचैनी है. पार्टी की एक धारा का मानना है कि SIR जरूरी मुद्दा है, लेकिन इसे मुख्य चुनावी एजेंडा बनाकर वह रोजगार, महंगाई, किसान जैसे मुद्दों को धीमा कर रही है. दूसरी तरफ राहुल गांधी समर्थक कहते हैं कि अगर चुनाव ही फिक्स हो, तो कोई भी मुद्दा लड़ने लायक नहीं बचता.
बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व खासतौर पर राहुल गांधी अपने सबसे आक्रामक मुद्दे से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. नतीजा चाहे जो हों, राहुल गांधी अभी भी ‘वोट चोरी’ और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को ही सेंट्रल नैरेटिव बनाने में जुटे हैं. यह वही मुद्दा है जिसे उन्होंने बिहार और हरियाणा दोनों जगह जोरशोर से उठाया, लेकिन इसका कोई चुनावी असर नहीं दिखा. बिहार में NDA को 202 सीटें मिलीं, जबकि विपक्ष 35 पर सिमट गया. फिर भी कांग्रेस कह रही है कि वोट चोरी हुई है. चुनाव आयोग पक्षपाती है और SIR लोकतंत्र पर हमला है. अब पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव होने वाले हैं, जहां यह मुद्दा अहम हो सकता है. राहुल गांधी अड़े हुए हैं. शायद उन्हें भरोसा है कि सच में ऐसा हो रहा है, इसलिए वे इस मुद्दे को किसी भी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.
बिहार और उससे पहले हरियाणा में भी वोट चोरी का नारा खूब चला, लेकिन वोट नहीं मिले. इसके बावजूद राहुल गांधी इस मुद्दे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं, बल्कि इसे और आक्रामक तरीके से उठाने का ऐलान कर चुके हैं. मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की मीटिंग भी इसे लेकर आक्रामक रुख दिखाया गया है. पार्टी अब इसे एक चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की लड़ाई बताकर पेश कर रही है. कांग्रेस के भीतर भी अब यह चर्चा है कि राहुल ने इसे व्यक्तिगत अभियान बना लिया है. एक ऐसे मुद्दे पर जंग लड़ी जा रही है, जिसे लोगों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है.
SIR पर कांग्रेस की मीटिंग
SIR के खिलाफ कांग्रेस ने दिल्ली में बड़ी समीक्षा बैठक की. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और 12 राज्यों के नेताओं ने हिस्सा लिया. बैठक का एजेंडा स्पष्ट था- SIR को लेकर लड़ाई तेज करना. वोटर लिस्ट में धांधली का आरोप दोहराना और दिसंबर में बड़ी रैली का ऐलान. बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, SIR की प्रक्रिया लोकतंत्र को खत्म कर रही है. इलेक्शन कमीशन बीजेपी की छाया में काम कर रहा है. यह वोट चुराने का सुनियोजित प्रयास है.
जेनुइन वोटर हटाने की कोशिशें रोकेंगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, इलेक्शन कमीशन याद रखे कि उनकी वफादारी की शपथ बीजेपी से नहीं, देश से है. उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा, सरकार के प्रति नहीं. अगर इलेक्शन कमीशन चुप रहता है, तो यह प्रशासनिक विफलता नहीं, सांठगांठ है. खरगे ने यह भी कहा कि कांग्रेस अपने बूथ वर्कर्स, ब्लॉकों और जिलाध्यक्षों के साथ मिलकर हर स्तर पर निगरानी करेगी, ताकि बोगस वोटर शामिल करने और जेनुइन वोटर हटाने की कोशिशें रोकी जा सकें.
5 करोड़ का टारगेट सेट
SIR को लेकर कांग्रेस सड़क पर भी उतरने की तैयारी में है. तमिलनाडु कांग्रेस ने एक करोड़ से ज्यादा हस्ताक्षरित फॉर्म पार्टी मुख्यालय में जमा किए हैं. कांग्रेस का लक्ष्य है देशभर से 5 करोड़ फॉर्म इकट्ठा करना. दिसंबर की रैली से पहले इसे राजनीतिक हथियार बनाना. तमिलनाडु प्रभारी गिरीश चोडनकर के मुताबिक, यह सिर्फ एक अभियान नहीं, यह लोकतंत्र की रक्षा है.चुनाव आयोग ने 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में SIR कराने का ऐलान किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि 98% फॉर्म बांअे जा चुके हैं. जबकि कांग्रेस कह रही कि यह मनमुताबिक वितरण है, वोट कट रहे हैं.बिहार में हार के तीन दिन बाद राहुल गांधी का बयान आया था. उन्होंने कहा था, यह चुनाव शुरू से ही फेयर नहीं था. हम नतीजों की गहराई से समीक्षा करेंगे.
क्या SIR राहुल का नया ‘राफेल’ बन गया है?
जब कांग्रेस राफेल को लेकर जमीन नहीं पा सकी, तो वह मुद्दा धीरे-धीरे ठंडा हो गया. लेकिन SIR पर राहुल अलग मूड में दिख रहे हैं. इसके कारण हैं. उन्हें लगता है कि यह मुद्दा लोकतंत्र बचाने की नैरेटिव से जुड़ा है. इसे समझाना आसान है कि आपका वोट काटा जा रहा है. CAA-NRC के बाद मुसलमानों और दलितों में वोटर लिस्ट को लेकर संवेदनशीलता बढ़ी है. विपक्षी दलों में भी EC के प्रति अविश्वास है, ऐसे में राहुल इसका चेहरा बनना चाहते हैं. मगर सवाल वही कि क्या यह मुद्दा चल रहा है? अब तक के सबूत बताते हैं कि ज़मीन पर यह मुद्दा चुनाव जीत नहीं रहा. यह बिहार में नहीं चला, हरियाणा में नहीं चला, केरल में माहौल है, लेकिन कांग्रेस को भरोसा नहीं कि उसे वोट में बदलेगा और अब 4 चुनाव अगले 6–7 महीनों में सामने खड़े हैं.


