लाई-चना खाएंगे रैली सफल बनाएंगे के नारे के साथ कांशीरामजी के परिनिर्वाण दिवस पर आयोजित रैली में लाखों की संख्या में शामिल होने का आवाहन बसपा की ओर से किया गया है।
लखनऊ : नौ अक्तूबर को कांशीरामजी के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर भव्य रैली का आयोजन किया जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीरामजी का आगामी 9 अक्तूबर को परिनिर्वाण दिवस है. इस अवसर पर आयोजित होने वाली रैली के लिए पार्टी द्वारा युद्धस्तर पर तैयारियां हो रही हैं। राजधानी के जेल रोड स्थित कांशीराम स्थल पर बसपा सुप्रीमो मायावती इस रैली को संबोधित करेंगी, जिसमें केंद्रीय संयोजक आकाश आनंद समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। इस रैली में लाखों लोगों के सहभागी होने की उम्मीद बसपा की ओर से व्यक्त की जा रही है.
लाई-चना खाएंगे, रैली को सफल बनाएंगे’ का नारा
बसपा ने इस रैली को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में ‘लाई-चना खाएंगे, रैली को सफल बनाएंगे’ का नारा दिया है। पार्टी द्वारा आशियाना स्थित रमाबाई अंबेडकर स्थल पर लोगों के ठहरने की व्यवस्था की जाने वाली है. जहां पर दलित महापुरुषों, कांशीराम और मायावती की उपलब्धियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी.

अनुशासन के साथ रैली में सहभागी होने का आवाहन
पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरे अनुशासन के साथ रैली स्थल पर जाने का आवाहन पक्ष द्वारा किया गया है. कई जिलों में बसपा के पदाधिकारी रेलवे से भी समन्वय स्थापित कर रहे हैं ताकि रैली में जाने वाले पार्टी समर्थकों को कोई असुविधा न हो। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि आगामी 9 अक्तूबर को राजधानी में बसपा समर्थकों का विशाल जमावड़ा होगा, जो कांशीरामजी को अभिवादन करने आएंगे और बसपा सुप्रीमो मायावती के संदेश को भी सुनेंगे।
कार्यकर्ताओं के बीच हमेशा एक मिशनरी कार्यकर्ता के रूप में रहे कांशीरामजी
ज्ञातव्य है कि मान्यवर कांशीरामजी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत छत्तीसगढ़ से की यहां उनके कार्यकर्ता उनके लिए अपनी जान छिड़कते थे । जांजगीर लोकसभा चुनाव के दौरान वे स्वयं एक हाथ में नीला रंग, दूसरे हाथ में कूची (ब्रस) लेकर गलियों में बसपा के नारे लिखते थे । वे कार्यकर्ताओं के बीच हमेशा एक मिशनरी कार्यकर्ता के रूप में ही रहे । आज ऐसे नेता दुलर्भ है । यहां बसपा भले ही अपनी अंतिम सांसे गिन रही है लेकिन पुराने कार्यकर्ता उन्हें आज भी याद करते है । वह हमेशा कहते थे कि 85 प्रतिशत जनसंख्या 85 प्रतिशत वोट भी बनती है । यदि यह विशाल वोट बैंक विभाजित न होकर एकत्र हो जाए तो सत्ता की चाबी बहुजन समाज के हाथ में होगी । तब वे मांगने वाले नहीं अपितु देने वाले होंगे । कांशीराम जी ने हमेशा यह सवाल पूछा कि बहुजन समाज शाषित क्यों है? उसे शासक होना चाहिए । ‘वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा’ का नारा देने के साथ मान्यवर कांशीराम ने राजनीति को यह खुली चुनौती दी थी कि बहुजन के वोट पर सवर्णों द्वारा शासन करने के दिन अब लद गए हैं और देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में बहन मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनाकर उन्होंने इसे सत्य कर दिखाया । वस्तुतः उत्तर प्रदेश उनकी राजनीतिक प्रयोगशाला थी, जहां वह पूरी तरह सफल रहे । कांशीरामजी की यही खोयी हुई विरासत वापिस पाने के लिए वर्त्तमान की बसपा संघर्षरत नज़र आ रही है. और इसी का एक कदम के रूप में ९ अक्टूबर को भव्य रैली का आयोजन किया जा रहा है.