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सरकारी स्कूल में दलित बच्चों से भेदभाव, अमेठी में अलग बैठा कर खिलाया जा रहा खाना

सरकारी स्कूल में दलित बच्चों से भेदभाव, अमेठी में अलग बैठा कर खिलाया जा रहा खाना

देश में जातिगत भेदभाव थमने का नाम नहीं ले रहा. अब जातिगत भेदभाव की घटना यूपी से आई है. उत्तरप्रदेश के अमेठी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय वनपुुरवा में तैनात प्रधानाध्यापक पर दलित छात्रों के साथ जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगा है। मंगलवार को संग्रामपुर थाने पहुंचे एक दलित परिवार ने शिकायतपत्र देकर कहा कि इस स्कूल में पढ़ने वाले दलित बच्चों को दोपहर के भोजन के दौरान अलग पंक्ति में बैठाया जाता है। भेदभाव की शिकायत करने पर प्रधानाध्यापिका दलित बच्चों की पिटाई भी करती हैं।

संग्रामपुर थाना क्षेत्र के गड़ेरी गांव से दो परिवार ग्राम प्रधान विनय जायसवाल के साथ थाने पहुंचे। ग्राम प्रधान के साथ थाने पहुंचे दलित जगनारायण व सोनू का कहना था कि उनके बच्चों के अलावा गांव के कई अन्य दलित परिवारों के बच्चे बनपुरवा में संचालित परिषदीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ते हैं।

अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार दलित परिवारों ने आरोप लगाया कि विद्यालय की प्रधानाध्यापक कुसुम सोनी दलित बच्चों के साथ भेदभाव करती हैं। दोपहर के भोजन के दौरान दलित बच्चों को सामाजिक व जातीय भेदभाव के तहत अलग पंक्ति में बैठाकर भोजन परोसा जाता है। बच्चों द्वारा इसका विरोध करने या कहीं शिकायत करने पर उनकी पिटाई भी की जाती है। ग्राम प्रधान का कहना था कि अभिभावकों की शिकायत पर सोमवार को वे विद्यालय गए तो प्रधानाध्यापक मौजूद नहीं थीं। विद्यालय बंद था और बच्चे घूम रहे थे।

बीएसए डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने बताया कि प्रकरण की जानकारी होने के बाद वे बीडीओ अमेठी के साथ स्कूल गए थे। आरोप लगाने वाले बच्चों व उनके अभिभावकों के अलावा प्रधानाध्यापक का बयान लिया गया है। जल्द ही पूरे मामले में यथोचित कार्रवाई की जाएगी।

एसएचओ अंगद सिंह ने बताया कि वे बाहर हैैं। दलित परिवारों के थाने आने की बात पता चली है। थाने पहुंचकर तहरीर में की गई शिकायत के हिसाब से मामले की जांच कर कार्रवाई करेंगे।

देश में आज भी जातिगत भेदभाव कायम है. लेकिन सरकारें इन्हें समाप्त करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चलाती. भारत में लोगों की पहचान इंसानियत से नहीं जाती से होती है, यही सबसे बड़ी विडम्बना है.

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