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झारखंड से गूंजी आवाज, भारत एक समय बुद्धिस्ट राष्ट्र था

झारखंड से गूंजी आवाज, भारत एक समय बुद्धिस्ट राष्ट्र था

भारतीय बुद्धिस्ट सोसाइटी महासंघ जिला कार्यकारिणी की बैठक बुधवार को झारखंड के गिरिडीह में हुई। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैनेंद्र कुमार तथागत व विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश अध्यक्ष डॉ राधा चरण सिंह उपस्थित थे। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष कामेश्वर पासवान, जिला उपाध्यक्ष उमेश दास, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कालेश्वर बोध समेत कई लोग मौजूद थे। बैठक में उपस्थित लोगों ने संगठन मजबूती पर चर्चा की। पूरे जिला में बौद्ध धर्म का प्रसार-प्रसार कर सभी जाति व धर्म के लोगों को इससे जोड़ते हुए बौद्धमय भारत बनाने का संकल्प लिया गया। इस क्रम में बबलू भारद्वाज को महासंघ का राष्ट्रीय सचिव तथा निवर्तमान जिप सदस्य कामेश्वर पासवान को जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया। इस बाबत जिलाध्यक्ष कामेश्वर पासवान ने कहा कि बाबा साहेब के सपनों को साकार किया जाएगा। जिस आशा और विश्वास के साथ उन्हें यह महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। उस पर वे खरा उतरने का हर संभव प्रयास करेंगे। कहा कि जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक मजबूत कमेटी का गठन किया जाएगा।

बैठक के बाद प्रेसवार्ता में महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनेंद्र कुमार तथागत ने कहा कि बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर की दलित छवि बनाना उनके साथ अन्याय करना है, क्योंकि वह समतामूलक समाज चाहते थे। वह वर्ण व्यवस्था के विरोधी और मानवता के पुजारी थे। वो राष्ट्रनिर्माता थे।

बौद्ध धर्म सभी को साथ लेकर चलता है। उसमें राजनीति नहीं है। बौद्ध धर्म से सबसे अधिक खतरा नव आंबेडकरवादियों को है। बाबा साहब ने समता सैनिक दल का गठन किया था, भीम आर्मी का नहीं। भीम आर्मी के नाम पर देश के दलितों को बांटने का काम किया जा रहा है। महासंघ बाबा साहब के सपनों पर आधारित है। उनका सपना बौद्धमय भारत, अखंड भारत और सक्षम भारत बनाना था। उनके सपने को पूरा करने के लिए महासंघ पूरे देश में काम कर रहा है।

एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत का धर्म बौद्ध धर्म रहा है। बौद्ध धर्म से ही भारत की पहचान है। पहले यहां के सभी लोग बौद्धिस्ट हुआ करते थे, जो बाद में अलग-अलग धर्मों में चले गए। सभी को वापस बौद्ध धर्म में लाना है। हम धर्म परिवर्तन नहीं, घर वापसी की बात करते हैं। बौद्ध धर्म किसी एक जाति व समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी जाति और समुदाय के लिए है। बौद्ध धर्म अपनाकर लोग अल्पसंख्यक समुदाय को मिलने वाले लाभ को प्राप्त कर सकते हैं।

मौके पर मोहन दास, काशी दास, मंतोष राणा, प्रदीप पडेण्य, माथुर दास, हीरो दास समेत कई लोग मौजूद थे

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