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अमेरिका में दलितों का शोषण, मंदिर का काम रुका, मुकदमा दर्ज

अमेरिका में दलितों का शोषण, मंदिर का काम रुका, मुकदमा दर्ज

अमेरिका स्थित न्यू जर्सी राज्य मे बनाये जा रहे स्वामीनारायण मंदीर के निर्माण हेतू भारत से करीब 200 मजदूर अमेरिका मे ले जाए गये । यह सभी मजदूर दलित और OBC है। इन मजदूरोंको केवल 1 डॉलर मजदूरी दी जाती है, खाने मे उबले हुए आलू एवं दाल ऐसा निकृष्ट भोजन दिया जाता है और इन मजदूरोंसे 18-20 घन्टे काम करवाया गया, जिसकी जांच फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन कर रही है. ईस मामले को लेकर FBI ने मंदीर के कुछ ट्रस्टीज के खिलाफ मामला दर्ज किया है और मंदीर निर्माण का कार्य रोक दिया है। बोचासन अक्षरपुरुष स्वामीनारायण संस्था (BAPS ) ज्यादातर गुजराती वैष्णव पंथीयों द्वारा चलायी जाने वाली संस्था है । भारत मे इस पंथ को मानने वालोंकी संख्या बहुत ही कम दिखती है । लेकीन इस पंथ के द्वारा बनाये गये भव्य मंदिर भारत के बडे शहरोंमे और विदेश मे हर राजधानी के शहर मे विद्यमान है| ऐसे मंदिरोन्की कुल संख्या लागभाग 1244 है| जिसमे ज्यादातर मंदिर विदेश मे है । वरिष्ठ पत्रकार सुनील खोब्रागडे फेसबुक पर लिखते है

अब सवाल यह उठता है की स्वामीनारायण संस्था विदेश मे इतने भव्य मंदीर क्यो बनवाता है? इन्हे इतने बडे पैमाने पर फंडिंग कहा से होता है? कूछ लोगो का मानना है की, बोचासन अक्षरपुरुष स्वामीनारायण संस्था (BAPS ) यह दुनिया का सबसे बडा नगद पैसा, डायमंड और सोना (Gold ) का इन्टरनेशनल हवाला नेटवर्क है। जीस देश मे हिन्दु ना के बराबर है ऐसे देश से लेकर लगभग दुनिया के सभी देशो के राजधानी के शहर मे और बडे शहरोमे स्वामीनारायण मंदीर बनाया गया है। इसका कारण क्या है? इन मंदिरोमे एक विशिष्ट समुदाय के व्यापारीयो द्वारा नगद आंतरराष्ट्रिय मुद्रा, डायमंड और गोल्ड बडे पैमाने पर जमा किया जाता है,और दुसरे देश मे जो व्यापारी को जरुरत है वह व्यापारी संबंधित देश की मुद्रा जमा करने पर उतने मूल्य का डायमंड गोल्ड या विदेशी मुद्रा उसे दी जाती है। यह पुरे रैकेट की इंटरपोल द्वारा आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाँच होना जरुरी है । वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्विटर पर लिखा है उनको लगा था कि जैसे भारत में शोषण करते हैं, वैसे ही अमेरिका में भी कर लेंगे। 10 साल की सजा होगी कम से कम। सभ्य देश है अमेरिका। अमेरिका भारत नहीं है।

इस मंदिर के निर्माण हेतु मजदूरों के साथी बहुत जुलम और अमानवीय व्यव्हार किया गया. श्रमिकों के वकीलों ने कहा कि उनसे साइट पर दिन में लगभग 13 घंटे काम कराया जाता था. इस दौरान बड़े पत्थरों को उठाना, क्रेन और अन्य भारी मशीनरी का संचालन करना, सड़कों और सीवरों का निर्माण करना, खाई खोदना और जमी बर्फ हटाने जैसे काम दिए जाते थे. मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे और कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था, जहां उन्हें आगंतुकों और धार्मिक स्वयंसेवकों से बात करने की अनुमति नहीं थी. इसे के अनुसार, उन्हें खाने के तौर पर दाल और आलू दिया जाता था और छोटी सी गलती जैसे कि बिना हेलमेट के नजर आने पर उनका वेतन काट दिया जाता था.

श्रमिकों वकीलों ने दायर एक मुकदमे में कहा कि बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था, एक हिंदू संप्रदाय है, जिसे बीएपीए के नाम से भी जाना जाता है. इस संस्था का भारत के सत्तारूढ़ दल से घनिष्ठ संबंध है. इसने दुनिया भर में मंदिरों का निर्माण किया है और संभवत: वर्षों की निर्माण परियोजना के दौरान सैकड़ों निम्न-जाति के पुरुषों का शोषण किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, स्वामीनारायण संस्था का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा के साथ मजबूत संबंध हैं. साल 2016 में अमेरिका में बीएपीएस को सबसे बड़ा हिंदू संप्रदाय बनाने वाले धार्मिक गुरु प्रमुख स्वामी महाराज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि वह उनके गुरु थे. ‘इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल’ (आईसीडब्ल्यूआई) ने कहा कि 11 मई को एफबीआई (संघीय जांच ब्यूरो) की छापेमारी में करीब 200 श्रमिकों को न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में स्वामीनारायण मंदिर के परिसर से बचाया गया, जिनमें से ‘अधिकतर दलित, बहुजन और आदिवासी हैं’. यह मंदिर अमेरिका का सबसे बड़ा मंदिर बताया जाता है.

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