भारतीय तिरंगा ध्वज में अशोक चक्र को स्थान प्राप्त कराने का श्रेय डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को जाता है.
अर्थशास्त्र में नोबल विजेता अर्थशास्त्री प्रो.अमर्त्य सेन डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को अपना गुरु मानते है.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तक वेटिंग फॉर ए वीसा कोलंबिया विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में उपलब्ध है.
कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा सन 2004 में प्रकाशित वैश्विक सौ विद्वानों की सूची में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का नाम है.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर 64 विषयों में मास्टर थे. हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेन्च, जर्मन, मराठी, पार्शियन,गुजराती जैसी नौ भाषाओं के वह जानकार थे तथा उन्होंने 21 वर्ष तक विश्व के सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में आठ साल का कोर्स मात्र 2 साल तीन माह में पूर्ण किया. इसके लिए 21-21 घंटों तक अध्ययन किया.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा अपने लाखों समर्थकों के साथ बुद्ध धम्म की दीक्षा लेना एक ऐतिहासिक घटना है. यह विश्व का सबसे बडा धर्मान्तर है.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को बुद्ध धम्म की दीक्षा देनेवाले बौद्ध भिक्षु गुरु चंद्रमणि महास्थवीर उन्हें इस युग के आधुनिक बुद्ध कहते थे.
‘लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ से ‘डॉक्टर ऑफ़ साइंस’ नामक उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर विश्व के प्रथम तथा एकमात्र व्यक्ति है
सन 2012 में द ग्रेटेस्ट इंडियन सर्व्हे में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को ‘सर्वश्रेष्ठ भारतीय’ चुना गया.
दक्षिण एशिया से डबल डॉक्टरेट (पीएच.डी एवं डी.एससी ) उपाधि प्राप्त करनेवाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर प्रथम साऊथ एशियन है