Awaaz India Tv

नसीरुद्दीन शाह के बेबाक बोल: ‘मैं नहीं पढ़ता नमाज ! बच्चों को कभी भी किसी धर्म से नहीं बांधा

नसीरुद्दीन शाह के बेबाक बोल: ‘मैं नहीं पढ़ता नमाज ! बच्चों को कभी भी किसी धर्म से नहीं बांधा

दिग्गज फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह किसी भी समसामयिक विषय पर बेबाक राय रखते हैं। इन कारणों से वे अक्सर चर्चा में भी रहते हैं। हाल में उन्होंने NDTV एक इंटरव्यू दिया है जिसकी काफी चर्चा की जा रही है। इस इंटरव्यू में उन्होंने सरकार की आलोचना की है साथ ही ये भी बताया है कि बॉलीवुड के तीनों खान किसी भी मुद्दे पर बोलने से क्यों बचते हैं। उन्होंने कहा ‘मैं नहीं पढ़ता नमाज, यहां लोग कुरान पढ़ते जरूर हैं लेकिन समझते कम’, जिस तरह से समय के साथ हिंदू धर्म में सती प्रथा को बंद किया गया, वैसे ही इस्लाम में भी समय के साथ मार्डिफिकेशन किया जाना बेहद जरूरी है। इस्लाम में हिजाब का जिक्र नही है। इस्लाम में नजर का पर्दा मायने रखता है। उन्होंने ये भी कहा कि वे कभी नमाज नहीं पढ़ते हैं।

नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जब वह छोटे थे तो उनके वालिद नमाज पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे, लेकिन कभी उन्होंने जबरदस्ती नहीं की। वह बचपन में नमाज पढ़ते थे। लेकिन जब किसी तरह की कोई परेशानी होती है तो आयते पढ़ लेते हैं।

बॉलीवुड के तीन खान डरपोक है ?

नसीरुद्दीन शाह से जब तीनों खान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि “वो भी खुद के उत्पीड़न होने से डरते हैं. उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है. ये सिर्फ वित्तीय उत्पीड़न नहीं होगा, ये सिर्फ एक या दो एंडोर्समेंट चले जाने की बात नहीं है, ये उनके पूरे जीवन की कमाई प्रतिष्ठा की बात है. जो कोई भी बोलने की हिम्मत करता है उसे दिक्कतों-ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है. ये सिर्फ जावेद साहब या मैं नहीं है, यहां कोई भी दक्षिणपंथी मानसिकता के खिलाफ बोलता है उसके साथ होता है और ये दोनों तरफ बढ़ रहा है.”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ‘अब्बा जान’ शब्द पर की गईं टिप्पणी पर नसीरुद्दीन शाह ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उसे अमानवीय बताया। नसीरुद्दीन शाह ने कहा एक मीडिया चैनल से खास बातचीत करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘यूपी के सीएम द्वारा दिया गया अब्बा जान वाला बयान अमानवीय है और यहां तक कि वो प्रतिक्रिया के लायक भी नहीं है’।

फिल्म इंडस्ट्री सरकार के दबाव में !

नसीरुद्दीन शाह ने कहा की “फिल्म इंडस्ट्री को अब सरकार की ओर से विचार के समर्थन वाली फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसी फिल्मों को बनाने के लिए फंड भी दिया जाता है जो सरकार के विचारों का समर्थन करती हों। उन्हें क्लीन चिट का भी वादा होता है और वो प्रोपेगेंडा फिल्में बनाते हैं।” इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि नाज़ी जर्मनी के दौर में दुनिया को समझने वाले फिल्मकारों को घेरा गया है और उनसे कहा गया कि वे ऐसी फिल्में बनाएं, जो नाज़ी विचारधारा का प्रचार करती हों। दिग्गज फिल्म अभिनेता ने आगे कहा कि मेरे पास इसके पक्के सबूत नहीं हैं, लेकिन जिस तरह की बड़े बजट वाली फिल्में आ रही हैं, उससे यह बात साफ़ है।

उन्होंने आगे कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री इस्लामोफिबिया से ग्रसित है। सबसे बड़ी बात कि सरकार की ओर से फिल्म मेकर्स को ऐसा सिनेमा तैयार करने के लिए प्रोत्साहन भी मिल रहा है।
अभिनेता ने एक वाकया साझा करते हुये बताया कि उनकी पत्नी रत्ना पाठक शाह, जो खुद एक प्रशंसित अभिनेत्री हैं, ने अपने बच्चों से कहा कि तुमसे जब कोई यह पूछे कि तुम किस धर्म का पालन करते हो तो कहना “भेलपुरी”। उन्होंने आगे कहा कि – “मैं अपने बारे में चिंतित नहीं हूं, मुझे बच्चों की चिंता है।”


तालिबान के समर्थन में बोलने वालों को खुद द्वारा आड़े हाथ लेने के दृष्टिकोण पर उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि उन्हें उस समय जो लगा वह उस समय कहा जाना था। जंगल की आग फैलने में समय नहीं लगती। इस तरह के विचारों को लोगों के दिमाग में घुसने में समय नहीं लगता है। अधिकांश लोग सुधारों को लेकर परेशान थे और इसने मुझे और भी परेशान किया। वे आधुनिकता के विचार के ख़िलाफ़ हैं।

उन्होंने आगे कहा कि “भारतीय इस्लाम से मेरा मतलब था सहिष्णु सूफी से था जिसने इस देश में इस्लाम की प्रथा को प्रभावित किया। मैं सलीम चिश्ती और निजामुद्दीन औलिया जैसे लोगों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए इस्लाम की बात कर रहा था।”

Image courtesy : Mid Day

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *