बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है। इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27% हैं। सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं। ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं। सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है। इससे पहले देश में 1931 में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। तब से आज तक न ही देश के स्तर पर और न ही राज्य के स्तर पर जातिगत जनगणना के कोई आंकड़े जारी हुए थे।
- जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग सबसे पहले यूपी में बसपा नेता कांशीराम ने की थी।
सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को जारी की गई जातीय गणना रिपोर्ट का विवरण साझा करने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उन्होंने राज्य की नौ पार्टियों से इस बैठक में हिस्सा लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार जातीय गणना और सर्वेक्षण की विस्तृत जानकारी देगी।
जाति गणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब ओबीसी राजनीती भी तेज हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे। शाम साढ़े 4 बजे पीएम ने कहा- विकास विरोधी लोग पहले भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे और आज भी खेलते हैं। वो तब भी जात-पात के नाम पर लोगों को बांटते थे और आज भी यही पाप कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरी टीम को बधाई दी है। नीतीश कुमार रिपोर्ट जारी होने के बाद एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ”आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई!’
दूसरी ओर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी जातिय गणना को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सभी साक्षी बने हैं। बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया।
लालू यादव ने आगे लिखा कि ये आंकड़ें वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे।राजद प्रमुख ने आगे कहा कि सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं।
बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने जातीय गणना पर एक किताब जारी की है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% है।
बिहार की आबादी में करीब 82 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं।बिहार की आबादी में सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% है। उन्हें नौकरी में मौजूदा आरक्षण 18% दिया जा रहा है। 27% ओबीसी के लिए 12% आरक्षण दिया जा रहा है। मौजूदा समय में बिहार में ईबीसी और ओबीसी को मिलाकर 30% के रिजर्वेशन का प्रावधान है। इसमें 18% ईबीसी को और 12% ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है। जबकि जाति आधारित गणना के मुताबिक इनकी संख्या बढ़कर 63% हो गई है।
13 करोड़ 7 लाख से ज्यादा है आबादी
अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा बिहार राज्य में हुई गणना के अनुसार प्रदेश की जनसंख्या में बिहार के बाहर में रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है। बिहार राज्य में रहने वालों की कुल जनसंख्या 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार 288 है।
इसमें पुरुषों की कुल संख्या 6 करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है, जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है। अन्य की संख्या 82 हजार 836 पाई गई है। गणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं।
जाति आधारित गणना दो फेज में पूरी हुई
पहला फेज: 7 जनवरी से गणना का पहला चरण शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण, मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था।
दूसरा फेज: 15 अप्रैल से शुरू हुआ। इसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।