उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी दलितों को प्रभावित करने के लिए ‘गांव-गांव, दलित संवाद’ शुरुआत करने जा रही है। सपा मुख्यालय से जारी बयान के अनुसार समाजवादी लोहिया वाहिनी विभिन्न जिलों में 19 सितम्बर 2021 से ‘गांव-गांव दलित संवाद’ कार्यक्रम शुरू करेगी। बसपा जहां एक तरफ ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश कर रही है वही सपा दलितों को रिझाने के लिए अब प्रयास कर रही है. सपा-बसपा गठबंधन के टूट जाने का बाद कई बसपा नेता, पूर्व सांसद-विधायक सपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद अखिलेश को दलित वोट बैंक से उम्मीद जाएगी है.
एसपी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहा, ‘2022 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये ‘लोहिया वाहिनी करे संवाद, आएगा फिर से समाजवाद‘ नारे के साथ लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राम करन निर्मल 19 सितम्बर से 27 सितम्बर 2021 तक कानपुर, औरैया, कन्नौज, फर्रूखाबाद, मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, आगरा और मथुरा में ‘गांव-गांव दलित संवाद’ कार्यक्रम में शामिल होंगे। बीएसपी प्रमुख मायावती ने दलित-ब्राह्मण एकता के जरिये 2022 में बसपा की सरकार बनाने का आह्वान किया था।
समाजवादी पार्टी ने अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए अब ‘गांव-गांव दलित संवाद’ कार्यक्रम पर जोर दिया है। दलित वोटर्स बसपा का कैडर बेस और पक्का वोटर माना जाता है. आनेवाला वक्त ही बताएंगा की क्या वो बीजेपी को रोकने के लिए सपा की तरफ शिफ्ट होगा या बसपा में इनटेक्ट रहेंगा।