उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में सोमवार को किसानों और प्रशासन के बीच एक समझौता हुआ है। इससे एक दिन पहले एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई। बातचीत के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषणा के अनुसार, उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश रविवार की हिंसा की जांच करेंगे, प्रत्येक मृतक के परिवारों को 45 लाख रुपये का मुआवजा किया जाएगा, घायल हुए लोगों को 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। मरने वालों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। साथ ही घटना की न्यायिक जांच और 8 दिन में आरोपियों को अरेस्ट करने का वादा भी किया गया है।
UP के ADG प्रशांत कुमार ने कहा, किसानों की शिकायत पर FIR दर्ज की जाएगी। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि CRPC की धारा 144 लागू होने के कारण राजनीतिक दलों के नेताओं को जिले का दौरा नहीं करने दिया गया है। हालांकि, किसान संघों के सदस्यों को यहां आने की इजाजत है।’
लखीमपुर में हुई हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र समेत 14 लोगों पर हत्या, आपराधिक साजिश और बलवे का केस दर्ज हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
वहीं केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की उस याचिका पर सुनवाई हो रही थी। जिसमें जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है।