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म्यांमार के सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित हुए भदंत एबी ज्ञानेश्वर

म्यांमार के सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित हुए भदंत एबी ज्ञानेश्वर

बौद्ध धम्मगुरु तथा कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष अग्ग महापंडित भदंत एबी ज्ञानेश्वर को म्यांमार की सर्वोच्च धार्मिक उपाधि ‘अभिधज्जा महारथा गुरु’ से सम्मानित किया गया है। म्यांमार के राजदूत ऊ मोचे वांग ने यहां पहुंचकर रविवार को भदंत को यह सम्मान प्रदान किया। म्यांमार के इस सम्मान से सम्मानित होने वाले भदंत ज्ञानेश्वर पहले भारतीय हैं। इसकी घोषणा म्यांमार सरकार ने 4 जनवरी को अपनी आजादी के दिन की थी। इस अवसरपर म्यांमार के राजदूत ऊ मोचो आंग जी को और उनके( सेना के ब्रिगेडियर जरनल थीन जा ) को भारतीय संविधान की किताब सप्रेम भेंट स्वरुप दी गई.

कुशीनगर स्थित वर्मी बुद्ध बिहार के धम्म सभागार में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसे संबोधित करते राजदूत ने कहा कि भदंत को इस उपाधि से सम्मनित कर हम गौरवान्वित हो रहे हैं। इस सम्मान से भारत का सम्मान बढ़ा है और दोनों देशों के आत्मिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत छोटे भाई की तरह म्यांमार का ख्याल रखता है और हमेशा सहयोग करता है

विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि म्यांमार सरकार अपने सर्वोच्च सम्मान से भंते जी को सम्मानित करने खुद भारत पहुंची है। उन्होंने कहा कि गुरुजी ने कुशीनगर को सजाने-संवारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा ने कहा कि भदंत ज्ञानेश्वर ने कुशीनगर का नाम विश्व में रोशन किया है। इस मौके पर बौद्ध भिक्षुओं, उपासकों, उपसिकाओं व वरिष्ठ जनों ने राजदूत वांग का स्वागत किया और उन्हें पंचशील ध्वज प्रदान किया। राजदूत वांग ने भी सभी को पंचशील ध्वज देकर सम्मानित किया। बौद्ध भिक्षुओं ने नमो भगवतो का धम्म पाठ किया। उपासक व उपसिकाओं को पंचशील प्रदान किया गया। सारनाथ, श्रावस्ती व अन्य जगहों से आए बौद्ध भिक्षुओं, उपासक व उपासिकाओं ने भदंत ज्ञानेश्वर से आशीर्वाद लिया। संचालन मन्दिर के प्रतिनिधि टीके राय ने किया। ज्ञातव्य हो कि भिक्षु चन्द्रमणि म्यामार से 1963 में भारत आये और अपने साथ भदंत ज्ञानेश्वर को लेकर आये थे । तभी से ये भारतीय बनकर रहने लगे। इनको वर्मा सरकार (म्यामार) ने समय समय पर कई उपाधि से नवाजा है।

ज्ञातव्य हो कि भिक्षु चन्द्रमणि म्यामार से 1963 में भारत आये और अपने साथ भदंत ज्ञानेश्वर को लेकर आये थे । तभी से ये भारतीय बनकर रहने लगे। इनको वर्मा सरकार (म्यामार) ने समय समय पर कई उपाधि से नवाजा है। इसके पूर्व सबसे पहले 1997 में वर्मा सरकार द्वारा उन्हें अग्ग महापंडित से नवाजा गया उसके बाद 2005 में अग्ग महासधम्मा ज्योतिका के अलावा 2016 में अभिधजा अंग महासधम्मज्योतिका मिल चुका है। इसमे मिले दान से भदंत ने अनेक प्रकार के धार्मिक, सांस्कृतिक व शैक्षिक कार्य किए हैं। अब उन्हें अग्ग महारथा गुरु से सम्मानित किया गया है, जो वर्मा देश का सबसे बड़ा धार्मिक सम्मान है।

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