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मिस्र के इस शहर में मिली बुद्ध की मूर्ति; बुद्ध ही बुद्ध है

मिस्र के इस शहर में मिली बुद्ध की मूर्ति; बुद्ध ही बुद्ध है

मिस्र के लाल सागर के पास मौजूद बेरेनिके के प्राचीन बंदरगाह में काम कर रहे पुरातत्वविदों ने रोमन काल के समय की एक बुद्ध मूर्ति की खोज की है. दरअसल, लाल सागर के पश्चिमी किनारे पर पोलिश अमेरिकी मिशन खुदाई कर रहा है. मिस्र की सुप्रीम काउंसिल ऑफ एंटिक्विटीज ने बताया कि इस काम में शामिल विशेषज्ञों को शहर के प्राचीन मंदिर में खुदाई के दौरान बुद्ध की मूर्ति मिली है.

पुरातात्विक विशेषज्ञों का यह दस्ता 1994 से ही साइट पर काम कर रहा है. बुद्ध की यह मूर्ति दूसरी शताब्दी की बताई जा रही है. मूर्ति की लंबाई 71 सेंटीमीटर है, जिसके चारों ओर आभामंडल है और उसके बगल में एक कमल का फूल बना हुआ है. पुरातत्वविदों को इस खोज से संकेत मिल रहे हैं कि रोमन साम्राज्य और भारत के बीच व्यापारिक संबंध थे.

पुरातात्विक मिशन की पॉलिश टीम की प्रमुख डॉ. मारियस गोयजादा ने कहा, खोजी गई मूर्ति पत्थर से बनी है। इस पत्थर को इस्तांबुल के दक्षिण में एक क्षेत्र से निकाला गया था। पुरातत्व की सर्वोच्च परिषद के महासचिव डॉ. मुस्तफा वजीरी ने कहा कि बुद्ध प्रतिमा की खोज ने रोमन युग के दौरान मिस्र और भारत के बीच व्यापार संबंधों के अस्तित्व का महत्वपूर्ण सबूत प्रदान किया। यह मंदिर यहां आने वाले भारतीय व्यापारियों के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा, “मिस्र ट्रैड रूट के केंद्र में था जो रोमन साम्राज्य को भारत सहित प्राचीन दुनिया के कई क्षेत्रों से जोड़ता था.”

हालांकि, पुरातत्वविदों ने बुद्ध की जो मूर्ति खोजी है, उसका दाहिना हिस्सा और दाहिना पैर गायब है. 28 इंच (71 सेंटीमीटर) ऊंची इस मूर्ति के चारों तरफ एक आभामंडल बना हुआ है. मूर्ति के बगल में एक कमल का फूल भी बना हुआ है. मूर्ति देखने में भव्य लग रही है.

इस समय में मिस्र के बेरेनिके में लाल सागर के किनारे कई बंदरगाह थे और बेरेनिक मुख्य व्यापारिक केंद्र हुआ करता था. यहां भारत से आने वाली काली मिर्च, कीमती पत्थर, कपड़ों और हाथी दांत जैसे उत्पादों का जहाजों से व्यापार होता था. इसके बाद माल को ऊंटों पर लादकर रेगिस्तान से होते हुए नील नदी तक पहुंचाया जाता था, जहां से अलेक्जेंड्रिया और वहां से शेष रोमन साम्राज्य में भेजा जाता था.

इसे अलावा पुरातत्वविदों को यहां मंदिर की खुदाई के में रोमन सम्राट मार्कस जूलियस फिलिपस (244 से 249) के दौर का एक शिलालेख भी मिला है. कहा जाता है की सम्राट अशोक के समय तथा मौर्य शासन काल में मिस्र तक बुद्ध धम्म पहुँच गया था.

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