केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने से इनकार कर दिया है. इस पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने नाराजगी जाहिर कर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश हो रहा है. मायावती ने ट्वीट करके लिखा- केन्द्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इन्कार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है. सजगता जरूरी.
बीएसपी अध्यक्ष ने ने आगे लिखा कि एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की माँग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इन्कार पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुँचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वह जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती नहीं करवाएगी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि इस तरह की जनगणना व्यावहारिक नहीं है. 1951 से देश में यह नीति लागू है. इस बार भी सरकार ने इसे जारी रखने का फैसला लिया है. पहले से चली आ रही नीति के तहत इस बार भी सिर्फ अनुसूचित जाति, जनजाति, धार्मिक और भाषाई समूहों की गिनती ही की जाएगी.. केंद्र ने बताया है कि 2011 में जो सोशियो इकोनॉमिक एंड कास्ट सेंसस (SECC) किया गया था, उसे ओबीसी की गणना नहीं कहा जा सकता.