दबे-कुचले-समाज की पत्रकारिता करने वाले यू-ट्यूबर पत्रकार वेद प्रकाश को जातिवादी गुंडों ने जान से मारने की कोशिश की, जिसमे वो नाकाम रहें। पत्रकार वेद प्रकाश को मारने के लिए फुलवारीशरीफ से लेकर एम्स और नौबतपुर के रास्ते में घंटों दौड़ाया गया। इस दौरान वेद प्रकाश को धमकी देने वाला शख्स फेसबुक लाइव पर आकर अपने साथियों से वेद प्रकाश को घेरने और सबक सिखाने की बात करता रहा। जब पत्रकार का पीछा किया जा रहा था तो वह अपनी बहन और भांजों के साथ थे। यानी कि अगर आरोपी पत्रकार को घेरने में सफल रहते तो अनहोनी होने की आशंका थी।
इस घटना के बाद पत्रकार वेद प्रकाश ने शिकायत दर्ज कराई है और सुरक्षा की मांग की है। बिहार के डीजीपी को दिए गए आवेदन में वेद प्रकाश ने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि गुरुवार की शाम वह अपनी बहन और भतीजे के साथ कार से जा रहे थे। जब वे फुलवारीशरीफ में थे तो कुछ लोगों की हरकत उन्हें ठीक नहीं लगी। वहां से वे जैसे ही निकले तो उनका पीछा किया जाने लगा। शाम के करीब पांच बजे से लेकर छह बजे के बीच उन्हें मारने की नीयत से इस तरह उनके साथ किया गया। इस घटना में उन्होंने अमृतांशु पर आरोप लगाया है। बताया कि अमृतांशु ही फेसबुक पर लाइव आकर सबको नौबतपुर और बीएमपी की तरफ से उन्हें घेरने के लिए निर्देश दे रहा था। काफी देर तक अमृतांशु ने पीछा किया, लेकिन किसी तरह उन्होंने अपनी जान बचाई।
इस मामले में वेद ने कहा कि फेसबुक लाइव पर ही आरोपी ने जातिगत बात भी कही है। इसके अलावा पत्रकारिता छोड़ा देने जैसी धमकी भी दी। पीड़ित वेद ने दिए गए आवेदन में फेसबुक लाइव वीडियो और कुछ तस्वीरें भी उपलब्ध कराई है। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है, लेकिन बिहार पुलिस की ओर से अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार किये जाने की खबर नहीं मिली है।
गौरतलब है कि वेद प्रकाश हाशिये के समाज की पत्रकारिता करते हैं और उनके मुद्दों को उठाते हैं। वह गरीब, कमजोर, दलित और वंचित बहुजन समाज की खबरों को देश दुनिया के सामने लेकर आते हैं, जिस कारण जातिवादी गुंडो को उनसे चिढ़ है। इस घटना के बाद हाशिये की पत्रकारिता करने वाले तमाम लोग वेद प्रकाश के समर्थन में आ गए हैं। साथ ही राजनेताओं ने घटना की निंदा करते हुए अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने और कार्रवाई करने की मांग की है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर अमृतांशु जैसे जातिवादी गुंडों को हाशिये के समाज की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को सरेआम धमकी देने की हिम्मत कहां से मिलती है? क्या अमृतांशु जैसे जातिवादी गुंडों को सत्ताधारी राजनीतिक दल और राजनेता का संरक्षण हासिल है? क्या अमृतांशु ने ऐसा किसी के इशारे पर किया है? अगर नहीं तो फिर बिहार की पुलिस आरोपियों को जल्दी से गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है?