नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ महिला पहलवानों का उत्पीड़न करने के आरोप लगाकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे ख्याति प्राप्त पहलवानों के समर्थन में जाति उन्मूलन संगठन भी आगे आया है.द वायर में प्रकाशित खबर के अनुसार संगठन की ओर से बुधवार को बैठक कर एक बयान जारी किया गया है, जिसमें प्रदर्शनरत महिला पहलवानों की मांगों का पूर्ण समर्थन किया गया है. साथ ही, संगठन की ओर से कहा गया है कि ‘केवल महिला पहलवानों का ही नहीं, सभी महिलाओं के यौन उत्पीड़न का विरोध हो.’
दलित जातियों पर दबंग जातियों द्वारा किए जाने वाले उत्पीड़न का जिक्र करते हुए बयान में कहा गया है, ‘गांवों में कृषि भूमि पर कुछ विशेष जातियों का सदियों से कब्जा है. हरियाणा में तो जाट जाति का कृषि भूमि पर खासतौर से कब्जा है. इस भूमि पर सदियों से बतौर मजदूर के रूप में दलित समुदाय से आने वाले लोग ही कार्यरत रहे हैं और आज भी स्थिति बदली नहीं है. इन दलित पुरुष और महिला मजदूरों के साथ दबंग जातियों के मालिक द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार को सभी जानते हैं. इन मजदूरों का जातिगत और यौन उत्पीड़न आए दिन की घटनाएं हैं.’
बयान में आगे कहा गया है, ‘इन दलित महिला मजदूरों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न और रेप की घटनाओं पर समाज की विभिन्न जातियां आम तौर पर मौन ही रहती आई हैं और यह स्थिति आज भी नहीं बदली है.’
बयान में दबंग जातियों का पूरे महिला समाज के प्रति दृष्टिकोण महिला विरोधी बताया गया है, जिसके पक्ष में भ्रूण हत्याओं की वजह से गिरते लिंगानुपात और परिणामस्वरूप शादी के लिए दूसरे राज्यों से महिलाएं खरीदकर लाने के उदाहरण दिए गए हैं.
बयान में ऑनर किलिंग पर भी बात करते हुए कहा गया है कि ये लोग शादी/विवाह के गोत्रिय परंपरागत नियमों में किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करतें हैं और अपने ही बेटे-बेटियों के सजातीय या अंतरजातीय प्रेम विवाह करने पर ऑनर किलिंग जैसे अमानवीय कृत्य को अंजाम देते हैं. यह घटनाएं व्यक्तिगत रूप से भी हुई हैं और खाप पंचायतों के फरमान से भी हुई हैं.
गौरतलब है कि पहलवानों के विरोध प्रदर्शन को खाप पंचायतों का भी समर्थन प्राप्त है और समाज के विभिन्न वर्गों ने भी उनका समर्थन जताया है.
बयान में कहा गया है, ‘पूरी दुनिया ने इनके इस व्यवहार की निंदा और भर्त्सना की है और इसे बर्बर माना है. इसके बावजूद इनके इस तरह के महिला विरोधी व्यवहार में कोई खास बदलाव देखने में नहीं आया है. इन्होंने अपनी रुढ़िवादी और सामंती मानसिकता का कभी आत्मावलोकन और आत्म-आलोचना नहीं की है.’
अंत में बयान में कहा गया है कि जाति उन्मूलन संगठन सभी जातियों और वर्गों की महिलाओं के उत्पीड़न का विरोध करता है और चाहता है कि सभी जातियों और वर्गों के महिला उत्पीड़न का विरोध हो और महिलाओं के हितों की सुरक्षा की जाए.
गौरतलब है कि बीते 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर माना था और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था, जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.
पहलवान अभी भी धरने पर बैठे हैं क्योंकि बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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