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दक्षिण अफ्रीका ने क्यों कहा हमें म.गांधी नहीं डॉ. आंबेडकर चाहिए

दक्षिण अफ्रीका ने क्यों कहा हमें म.गांधी नहीं डॉ. आंबेडकर चाहिए

भारतीय संविधान दक्षिण अफ्रीका के नए संविधान के निर्माण में प्रेरणा प्रदान करता है। हमें उम्मीद है कि एक नए संविधान के निर्माण में हमारे प्रयास भारत के इस महान पुत्र के कार्य और विचारों को प्रतिबिंबित करेंगे। सामाजिक न्याय और शोषितों के उत्थान के लिए डॉ। अम्बेडकर का योगदान अनुकरण के योग्य है।

” – डॉ। नेल्सन मंडेला

नेल्सन मंडेला हमेशा यही कहते रहे कि दक्षिण अफ्रीका में मेरी लड़ाई अपने ही देश वासियों से हैं और मुझे इसी देश में समाधान चाहिए। लेकिन भारत के लोगों ने उनको अफ्रीका के गांधी की संज्ञा दी, भारत रत्न तो दिया उसमे भी लोगों को हमेशा भटकाने का काम भी किया। नेल्सन मंडेला से जब लोगों ने पूछा कि भारत ने आपको भारत रत्न से नवाजा है क्या कहेंगे? तो उन्होंने कहा कि भारत से लेने लायक एक ही चीज है और वह है डॉ अम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान। जिसमे भेदभाव और असमानता के खिलाफ बने कानून देखने योग्य है। भारत के संविधान के आधार पर ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका का संविधान बनाया.

लोग तर्क देते हैं कि उनको अफ्रीका के गांधी लड़ाई की वजह से नही कहा जाता है बल्कि अहिंसा की वजह से यह उपाधि दी गई है खुद डॉ अम्बेडकर ने गांधी जी को दोहरे चरित्र का माना था. उन्होंने कहा बात बात पर उपवास की धमकी देने भी किसी हिंसा से कम नही है। डॉ अम्बेडकर ने जो भी अधिकार दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के लिए दिलाये उसमे एक बूंद भी रक्त की नही बही.

कहने का मतलब केवल यह है नेल्सन मंडेला में गांधी शब्द थोपा गया है जबकि मंडेला की लड़ाई डॉ अम्बेडकर से मिलती जुलती रही है। जिसमे केवल देशवासियों से रंगभेद और नस्लभेद की लड़ाई थी और वे जीते भी और दक्षिण अफ्रीका पहले अश्वेत राष्ट्रपति भी बने। दिसंबर 2018 में घाना यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कैंपस में लगी मोहनदास करमचंद गांधी की मूर्ति को हटा दिया गया. राजधानी अक्रा में स्थित इस मूर्ति का अनावरण भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2016 में किया था. यहां गांधी मस्ट फॉल मूवमेंट (गांधी को गिरा दो मुहिम) शुरू हुई जिसमें यूनिवर्सिटी के स्टाफ और छात्रों ने गांधी को नस्लवादी बताया और मूर्ति हटाने की मांग की. कैंपेन के नेताओं में शामिल ओबाडेले बकारी कम्बोन, यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ अफ्रीकन स्टडीज में एक रिसर्च फेलो हैं. उनका दावा था कि गांधी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के बजाए सवर्ण हिंदुओं के पक्ष में लड़े. उन्होंने अफ्रीका के अश्वेतों और भारत के दलितों के बारे में गांधी के विचारों की तुलना की. उन्होंने कहा की अगर हमें देना है तो डॉ. आंबेडकर के विचार दीजिये

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