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ओडिशा ट्रैन हादसा : सरकार अपनी जवाबदेही कब तय करेंगी?

ओडिशा ट्रैन हादसा : सरकार अपनी जवाबदेही कब तय करेंगी?

ओडिशा में ट्रेन हादसे में 200 से अधिक यात्रियों की मौत पर शोक जताते हुए विपक्षी दलों के नेताओं ने रेलवे की सिग्नल प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, जिसकी वजह से संभवत: यह दुर्घटना हुई. शुक्रवार को बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर में कम से कम 260 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लगभग 900 लोग घायल हो गए. घायलों की संख्या भी एक हज़ार के क़रीब पहुंच गई है.

हादसे वाली जगह से जिस तरह की तस्वीरें आ रही हैं, वो शायद कुछ लोगों को विचलित कर सकती हैं.ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दुर्घटना को देखते हुए एक दिन के राजकीय शोक का आदेश दिया है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस भीषण हादसे पर दुख ज़ाहिर कर चुके हैं. कोरोमंडल एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल को तमिलनाडु से जोड़ती है. ट्रेन ने हादसे से कुछ समय पहले ही शालीमार स्टेशन को पार किया था. कोरोमंडल ट्रेन में ज्यादातर वे लोग होते हैं जो काम के सिलसिले में या बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तमिलनाडु जाते हैं.

ट्रेन हादसे के बाद टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने रेल मंत्री से इस्तीफ़े की मांग भी की है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी बालासोर में रेल हादसे वाली जगह पर पहुंचीं. यहां उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “ओडिशा सरकार के साथ हम समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं. हमने डॉक्टर और एंबुलेंस भेजी हैं. इसमें एंटी कॉलीजन डिवाइस नहीं लगी थी जिसकी जान चली गई, वो जिंदगी वापस नहीं मिलेगी. अब रेस्क्यू पर फोकस होना चाहिए. वही मोदी सरकार ने 9 साल पूरे होने के मौके पर आज होने वाले देशभर के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए. उडीसा में हुई रेल दुर्घटना के कारण सभी कार्यक्रम स्थगित किए गए.

वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक दिलीप मंडल ने इस घटना पर लिखा मैं शुभ अशुभ नहीं मानता। ये सब और पूर्व जन्मों का फल, कर्मा सिद्धांत, पुनर्जन्म सब बकवास है। लेकिन जो लोग पूजा पाठ करके स्थापित किए गए सेंगोल को देश के लिए शुभ मान रहे थे, वे पुनर्विचार करें। 21वीं सदी की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना हुई है। बोलिए शुभ हुआ या अशुभ हुआ?

वो आगे लिखते है किसी देश का सभ्य और विकसित होना वहाँ मानव जीवन के क़ीमती होने या न होने ये तय होता है। बोलने से कोई विश्वगुरु नहीं हो जाता। अमेरिका के सबसे बड़े और मेरे पसंदीदा रेल नेटवर्क एमट्रैक में पिछले 10 साल में 11 दुर्घटनाएँ हुईं है, जिसमें 25 लोग मरे हैं और एमट्रैक परेशान है कि एक्सीडेंट्स कैसे रोके जाएँ। रीट्वीट करके रेल मंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुँचाएँ: रेलवे में लाखों पद ख़ाली है। रेलवे को ये बताना चाहिए कि उनमें से कितने पद सुरक्षा से संबंधित हैं। उन पदों को विशेष अभियान के ज़रिए अगले छह महीने में भरा जाना चाहिए। रेल में ख़ाली पदों का ये जवाब सरकार ने लोकसभा में दिया है। बहुत गंभीर स्थिति है।

वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने लिखा है योजनाएँ आती हैं, उसपर करोड़ों खर्च कर उसका प्रचार होता है, मीडिया उसे मास्टरस्ट्रोक बताता है और  यह चक्र निरंतर चलता रहता है।उड़ीसा की घटना पहली घटना नहीं है जिसने इस झूठे प्रचारतंत्र का भयावह रूप हमारे सामने रखा है।पर ना कल कुछ बदला था, ना अब बदलेगा। सवाल सवाल रह जाएंगे।

वरिष्ठ पत्रकार नविन कुमार ने लिखा है अमृत कालीन रेल मंत्री नरेंद्र मोदी जी, झंडी दिखाने का अगला कार्यक्रम कहां है?नया सूट सिलवाया या नही?लास्ट टाइम साफे का कलफ ठीक नही था।कैमरामैन को टाइट कीजिए।आजकल फ्रेम ठीक नही बना रहा।छुट्टी का दिन है अच्छा नाश्ता किया होगा।अच्छा भाषण देने के लिए पौष्टिक राशन उठाना बहुत जरूरी है।

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