आने वाले समय राज्य अपने हिसाब से अन्य पिछड़ा वर्ग OBC की लिस्ट बना सकते हैं. राज्यों को यह अधिकार देने के लिए संसद में एक संविधान संशोधन बिल पेश किया गया है. इसका नाम संविधान (127वां संशोधन) बिल, 2021 है. इसे लोकसभा में सोमवार को पेश किया गया. बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल समेत तमाम विपक्षी दल तथा सामाजिक संघटन इसके लिए लगातार सरकार पर दबाव बना रहें थे, इस बिल का बसपा अध्यक्ष मायावती ने समर्थन किया है । बिल के जरिये राज्यों के उस अधिकार को बहाल करने की तैयारी है जिसके जरिये वे अपने स्तर पर ओबीसी जातियों की लिस्ट तैयार कर सकेंगे. लोकसभा में इस बिल को सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने पेश किया.
मायावती ने ट्वीट कर कहा – ओबीसी वर्ग बहुजन समाज का अभिन्न अंग है, जिसके हित व कल्याण के लिए बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान में धारा 340 की व्यवस्था की व उसपर सही से अमल नहीं होने पर देश के प्रथम कानून मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
बीएसपी भी वैसे ही इन वर्गों के लिए जी-जान से समर्पित। इसी सोच के तहत राज्य सरकारों द्वारा ओबीसी की पहचान करने व इनकी सूची बनाने सम्बन्धी संसद में आज पेश संविधान संशोधन बिल का बीएसपी समर्थन करती है, किन्तु केन्द्र केवल खानापूर्ति न करे बल्कि सरकारी नौकरियों में ओबीसी के वर्षों से खाली पदों को भरने का ठोस काम भी करे।
संविधान (127वां संशोधन) बिल, 2021 को ओबीसी विधेयक के नाम से भी जाना जाता है. यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट में गया था जहां देश की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया. फैसले के मुताबिक 102वें संविधान संशोधन के बाद से राज्यों के पास सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग की पहचान करने का अधिकार नहीं है. वे अपने स्तर पर ओबीसी की लिस्ट भी नहीं बना सकते. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्र सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद 4 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने एक संविधान संशोधन बिल को मंजूरी दी, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी-अपनी ओबीसी लिस्ट बनाने की शक्ति देने का प्रावधान करता है.