इलाहाबाद के जी.बी. पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट में आरक्षण घोटाला हुआ है। डायरेक्टर बद्री नारायण तिवारी की अगुवाई में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर सिर्फ सवर्णों को नौकरी दे दी गई और उसमें से भी ज्यादातर ब्राह्मण हैं। लेकिन OBC के आरक्षित पदों को ये कहकर खाली छोड़ दिया गया कि ‘None Found Suitable’ यानी ‘कोई लायक उम्मीदवार’ मिला ही नहीं। NFS के बहाने ओबीसी के अधिकारों को दरकिनार किया गया है। इस तरह से ओबीसी के स्वीकृत पदों को नहीं भरने की साज़िश का खुलासा हुआ है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लगातार ट्वीट करके ओबीसी वर्ग को जगाने की कोशिश की है. दिलीप मंडल ने ट्विटर पर लिखा है- नॉट फ़ाउंड सुटेबल घोटाला राष्ट्रीय समस्या है। OBC, SC, ST की लाखों नौकरियाँ लूट कर सवर्णों को दे दी जा रही हैं। इंटरव्यू का नंबर कम हो और उसका लाइव वीडियो प्रसारण हो। बहुत बेईमानी चल रही है। सामाजिक और राजनीतिक संगठनों को इसके ख़िलाफ़ भारत बंद की तैयारी करनी चाहिए। #NFSScam
पंत संस्थान की ओर से नौकरी के लिए निकाले गए आवेदन में- सामान्य वर्ग के लिए- 16, EWS के लिए- 9 और OBC के लिए 16 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया। इन्हें API यानी कि एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स के घटते क्रम में रखा गया। अब इन तीनों सूचियों को ध्यान से देखिए।
सामान्य वर्ग की नियुक्ति के लिए अंक– 93 से 87 रखा गया। गरीबी के आधार पर मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण EWS के लिए यह 87 से 81 था, जबकि OBC के लिए अंक 93 से 83 निर्धारित किया गया।
यानी 93 से 87 तक API के अभ्यर्थी सामान्य वर्ग में शामिल किए गए। 87 के बाद 81 तक आने वाले सवर्ण अभ्यर्थी EWS में शामिल किए गए। मगर OBC की सूची में 93 से 83 तक API वालों को शामिल कर दिया गया। जबकि 87 से ऊपर API के OBC को सामान्य वर्ग में नहीं रखा गया। यानी UR यानी अन रिजर्वर्ड, जिसे अनारक्षित यानी ‘ओपन फ़ॉर ऑल’ होना चाहिए था, उसे सिर्फ सवर्णों के लिए रिज़र्व कर दिया गया। यानी 50 फीसदी आरक्षण सिर्फ सवर्णों को दे दिया गया।
मामला सामने आने के बाद बहुजन युवाओं ने जी।बी। पंत संस्थान और बद्री नारायण दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बहुजन समाज के बुद्धीजीवी इसे मेरिट के नाम पर खुला जातिवाद बता रहे हैं। साथ ही इस नियुक्ति को फ़्रॉड बताकर इसे तत्काल रद्द करने की मांग की जा रही है।
बहुजन चिंतक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव ने लिखा है कि-‘बद्रीनारायण तिवारी’ एक व्यक्ति नहीं, प्रवृत्ति है। इस प्रवृत्ति ने भारतीय अकादमिक संस्थानों में दो काम किए। पहला, UR कैटेगरी को सवर्णों के लिए आरक्षित कर दिया और दूसरा, NFS करके अनगिनत दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के ख़्वाबों की हत्या कर दी। इस प्रवृत्ति से ही लड़ना है’।