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अयोध्या मेडिकल कॉलेज के छात्रों को गलती करने पर मिल रही राम नाम लिखने की अनोखी सजा …

अयोध्या मेडिकल कॉलेज के छात्रों को गलती करने पर मिल रही राम नाम लिखने की अनोखी सजा …

अयोध्या मेडिकल कॉलेज के डॉ. सत्यजीत वर्मा ने बताया कि इसमें कोई धर्म की बाधा नहीं है. जो जिस धर्म का है, उस धर्म का अनुसरण कर इसको लिख सकता है. कोई राम नाम लिख सकता है तो कोई राधा नाम भी लिख सकता है.

अयोध्या जिले के मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राएं अब पढ़ाई के दौरान कॉलेज कैंपस में कोई भी गलती करते हैं तो उन्हें कॉलेज प्रशासन से दंड नहीं दिया जाएगा, बल्कि उनको इसके बदले में अपनी कॉपी में ‘राम-राम’ लिखना होगा. दंड की श्रेणी के हिसाब से 11 से 51 हजार बार राम का नाम लिखने की सजा का प्रावधान किया गया है. राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने मेडिकल कॉलेज के सभी छात्र-छात्राओं के लिए ये आदेश जारी किया है.

मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने ऑनलाइन मार्केट से एक विशेष कॉपी का ऑर्डर भी कर दिया है. अब तक चार से पांच लोगों को राम का नाम लिखने की सजा मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले एक-दो छात्र व स्टाफ अनुशासन में नहीं दिखे. यही नहीं तीमारदारों का भी यही हाल था. इन पर कार्रवाई करने का मन तो बनाया, लेकिन सोचा कि क्यों न इनमें राम के नाम से सहारे सुधार लाया जाए, क्योंकि राम का नाम तारक मंत्र होता है. ऐसी धारणा है कि राम का नाम लेने से अवगुण कम होते हैं. गुण बढ़ता है और संस्कार आते हैं. यही सोचकर गलतियां करने वालों को राम का नाम लिखने की सजा दी है. उन्होंने बताया कि एक टेक्निशियन आस्तिक अपने ड्यूटी स्थल से नदारद था. उसे राम का नाम लिखने की सजा दी. एक कॉपी लिखने के बाद वह राम नाम के प्रति दीवाना हो गया. डॉ. सत्यजीत वर्मा ने बताया कि अब तक वह चार कॉपियों में राम-राम लिख चुका है.

राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने कहा कि कई बार ऐसा देखा गया है कि छात्र-छात्राओं को अनुशासनहीनता के बाद कठोर दंड देने से उनके जीवन और मानसिक स्थिति पर उसका गलत प्रभाव पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है को वो इस दंड के बाद अपने स्वाभाविक आचरण से विमुख भी हो जाते हैं.

संस्कार और संस्कृत के करीब भी आएंगे छात्र
ऐसे में शिक्षा के दौरान उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई गलत प्रभाव न पड़े, इसी को देखते कॉपी में ‘राम नाम’ लिखने को कहा गया है. वो इस दंड से अपने-अपने संस्कार और संस्कृत के करीब भी आएंगे. डॉ. सत्यजीत वर्मा ने कहा कि ये कोई परंपरा नहीं शुरू की गई है, बल्कि एक-दो कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं को गलती के बाद मैंने ऐसा बोला था, लेकिन फिर उनको इसमें रुचि आने लगी.

कोई राम नाम लिख सकता को कोई राधा नाम
मेडिकल कॉलेज के डॉ. सत्यजीत वर्मा ने बताया कि इसमें कोई धर्म की बाधा नहीं है. जो जिस धर्म का है, उस धर्म का अनुसरण कर इसको लिख सकता है. कोई राम नाम लिख सकता है तो कोई राधा नाम भी लिख सकता है. कलयुग में नाम जप की ही महिमा है. उन्होंने बताया कि एक स्पेशल राम नाम लेखक कॉपी मंगाई है, जिसमें 51 हजार तक रिक्तियां रहेंगी. उसमें गिनती के साथ आसानी से राम का नाम लिखा जा सकेगा.

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