Awaaz India Tv

बसपा नेता आर्मस्ट्रांग हत्याकांड : पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में लगायी गुहार , CBI जांच जारी रखने की मांग

बसपा नेता आर्मस्ट्रांग हत्याकांड : पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में लगायी गुहार , CBI जांच जारी रखने की मांग

एक भावनात्मक पहलू जोड़ते हुए, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हत्या किए गए BSP नेता और दलित अधिकार कार्यकर्ता आर्मस्ट्रॉन्ग की पत्नी पोरकोडी द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई हुई। उन्होंने तमिलनाडु पुलिस की प्रारंभिक जांच पर गहरा अविश्वास व्यक्त करते हुए मामले में जारी सीबीआय जांच का समर्थन किया।

आर्मस्ट्रॉन्ग की ५ जुलाई २०२४ को चेन्नई के पेरम्बूर स्थित उनके घर के बाहर सरेआम हत्या कर दी गई थी। इस हत्या ने राज्य में और दलित अधिकार समूहों के बीच व्यापक आक्रोश पैदा किया था।इससे पहले, मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में प्रक्रियात्मक खामियां और तथ्यात्मक विरोधाभास पाते हुए जांच सीबीआय को सौंप दी थी। तमिलनाडु सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने १० अक्टूबर को चार्जशीट रद्द करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन सीबीआय जांच को रोकने से इनकार कर दिया था।

अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान, पोरकोडी के वकील ने कहा कि यह मामला सिर्फ स्थानीय अपराध का नहीं है, बल्कि “राष्ट्रीय चेतना” से जुड़ा सवाल है। उन्होंने मांग की कि सीबीआय जांच सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली पर्यवेक्षण समिति की निगरानी में हो, जैसा कि करूर भगदड़ मामले में किया गया था। उनका कहना था कि पुलिस चार्जशीट में कई महत्वपूर्ण तथ्य “जानबूझकर” छोड़े गए हैं।

निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले का निपटारा नहीं किया और आगे की सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध कर दिया। फिलहाल सीबीआय जांच जारी रहेगी। पीठ ने संकेत दिया कि अंतिम आदेश से पहले अतिरिक्त पर्यवेक्षण उपायों की आवश्यकता पर विचार किया जाएगा। मामला अगली सुनवाई की तारीख पर वापस आएगा।

कौन थे के. आर्मस्ट्रांग
के. आर्मस्ट्रांग तमिलनाडु राज्य के एक वकील और राजनीतिज्ञ थे। वे बहुजन समाज पार्टी की तमिलनाडु इकाई के प्रदेश अध्यक्ष थे। एक अम्बेडकरवादी बौद्ध, आर्मस्ट्रांग राज्य में एक प्रमुख दलित सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे।

५ जुलाई २०२४ को उनके आवास के बाहर उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या ने तमिलनाडु में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया, जिससे न्याय की माँग उठी और दलितों के खिलाफ जारी हिंसा पर सवाल उठे।

तमिलनाडु पुलिस ने इस मामले में २८ आरोपियों को गिरफ्तार किया जिनमे से एक मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस ने ३ अक्टूबर को ५ हजार पेज का आरोपपत्र दाखिल किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *