टेक दिग्गज एप्पल IPhone, Mac और Macbook जैसे गैजेट्स के लिए दुनिया भर में मशहूर है. अब कंपनी ने जाति के ख़िलाफ़ लड़ाई को और बुलंद किया है.दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार Apple Inc ने जातिभेद को रोकने के लिए पॉलिसी बनाई है। इसका मतलब ये है कि अब एप्पल के दफ़्तर में अगर कोई सवर्ण कर्मचारी किसी भी अन्य कर्मचारी से उसकी जाति के आधार पर भेदभाव करता है तो ना सिर्फ़ उसकी नौकरी जा सकती है बल्कि उसे क़ानूनी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। दिग्गज टेक कंपनी एप्पल अब अपने यहाँ Caste Based Discrimination को बर्दाश्त नहीं करेगी। जाति के ख़िलाफ़ मुहिम चलाते हुए एप्पल ने ये बडा कदम उठाया है.
दुनिया की अधिकतर बड़ी कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय कर्मचारी काम करते हैं। इन कंपनियों में डायवर्सिटी का खास ख्याल रखा जाता रहा है। इसके साथ ही यहां भेदभाव नीतियां भी लागू हैं लेकिन भारत जैसे देश में पाए जाने वाले जातिगत भेदभाव जैसी असमानताओं को लेकर अब तक इन कंपनियों में कोई विशेष प्रावधान नहीं था। ऐसे में ऐप्पल कंपनी में जातिगत भेदभाव को स्पष्ट रूप से बंद करने और प्रतिबंधित करने वाली पहली तकनीकी कंपनी बन गया है।
Apple ने बनाई एंटी कास्ट पॉलिसी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ‘भारत में पैदा हुई जाति की समस्या से लड़ने के लिए Apple ने पॉलिसी बनाई है। यूँ तो जाति भारत में पैदा हुई लेकिन जातिवाद की ये समस्या सिलिकॉन वैली के कर्मचारियों को भी प्रभावित कर रही है’ यानी दुनिया की दिग्गज कंपनियाँ भी अब मान रही हैं कि भारत के सवर्ण कर्मचारी दुनिया में जहां भी जा रहे हैं, वहाँ जातिवाद की बीमारी फैला रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट में आगे कहा गया है ‘भारत की सदियों पुरानी जाति व्यवस्था से निपटने के लिए अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनियाँ क्रैश कोर्स चला रही हैं। Apple कंपनी जातिवाद से निपटने के मामले में प्रमुख रूप से उभरी है, जाति व्यवस्था ने भारतीयों को ऊँच-नीच के क्रम में बाँटा हुआ है। Apple ने दो साल पहले ही अपनी ‘General Employee Conduct Policy’ में जाति के आधार पर भेदभाव को बैन कर दिया था, इस पॉलिसी में नस्ल, धर्म, जेंडर, उम्र आदि के आधार पर भेदभाव भी वर्जित है।’ यानी अब अमेरिकी कंपनियाँ नस्ल के साथ-साथ जाति के आधार पर भेदभाव को भी स्वीकार करते हुए उससे निपटने के लिए नीतियाँ बना रही हैं।
भारत की जाति व्यवस्था की दी जा रही ट्रेनिंग अब दिग्गज टेक कंपनी एपल दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने न सिर्फ जातिगत भेदभाव पर अपनी चुप्पी तोड़ी है, बल्कि कंपनी में जातिगत भेदभाव पर पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही यह देखते हुए कि जाति व्यवस्था जो कि भारत में सदियों चलती आ रही है, वह अमेरिका में प्रबंधकों और कर्मचारियों के लिए अंजान हो सकती है, ऐसे में ऐप्पल ने इस विषय पर प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है ताकि उसके कार्यकर्ता नई नीतियों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
सिस्को सिस्टम्स पर दायर हुआ था केस
रॉयटर्स के अनुसार, ऐप्पल ने लगभग दो साल पहले जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने के लिए अपनी सामान्य कर्मचारी आचरण नीति को अपडेट किया था, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं की गई थी। नई नीति नस्ल, धर्म, लिंग, उम्र और वंश के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाने वाली नीतियों के साथ जातिगत भेदभाव को भी सख्ती से प्रतिबंधित करती है।
कई अमेरिकी कंपनियों में जाति के आधार पर भेदभाव
साल 2020 में अमेरिका की सिस्को कंपनी में भी जाति भेद का मामला सामने आया था। तब वहाँ दो सीनियर सवर्ण कर्मचारियों को एक दलित इंजीनियर के साथ जातिगत भेदभाव करने और उसके करियर में अड़ंगा लगाने का दोषी पाया गया था। ये मामला अदालत तक जा पहुँचा था जिसके बाद सिलिकॉन वैली में जाति की समस्या पर गंभीरता से चर्चा होने लगी। अमेरिकी की बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले दलित-बहुजन कर्मचारियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनके साथ काम करने वाले सवर्ण कर्मचारी उनके साथ भेदभाव करते हैं।
IBM ने भी किया नीति में बदलाव
भारत में लागू की गई अपनी नीतियों में पहले से ही जाति का उल्लेख करने वाली टेक कंपनी IBM ने भी बताया कि उसने सिस्को मुकदमे के बाद अपनी वैश्विक भेदभाव नीति में बदलाव किया है। हालांकि, IBM ने यह नहीं बताया कि उसने यह बदलाव कब किया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, IBM केवल अपने प्रबंधकों को जाति के विषय पर प्रशिक्षण दे रहा है।
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मैनेजिंग एडिटर साइमन रोबिनसन ने ट्विटर पर लिखा ‘रॉयटर्स ने अमेरिकी की टेक कंपनियों में काम करने वाले 20 दलित कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके साथ जातिगत भेदभाव होता है। उन्होंने बताया कि उनके गोत्र, जन्मस्थान, खान-पान और धार्मिक मान्यताओं के कारण उनके सहकर्मियों ने उन्हें नौकरी देने, प्रमोशन देने और अन्य सामाजिक गतिविधियों में नज़रअंदाज़ किया है’
तकनीकी कंपनियों में जाति को लेकर हो रही चर्चा
अन्य बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Amazon, Dell, Facebook के मालिक Meta, Microsoft, और Google अपनी मुख्य वैश्विक नीति में जाति का विशेष रूप से और स्पष्ट रूप से संदर्भ नहीं देते हैं। इनमें से कुछ ने अपने कर्मचारियों को केवल इंटरनली नोट रिलीज किया है। हाल के वर्षों में भारतीय विरासत वाले तकनीकी कर्मचारियों के बीच जाति और कथित जातिगत भेदभाव के विषय पर सिलिकॉन वैली में बहुत चर्चा हुई है।
सच साबित हुई बाबा साहब की भविष्यवाणी
बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने कहा था ‘भारत के सवर्ण दुनिया में जहां भी जाएँगे, जाति की बीमारी को साथ ले जाएँगे और फिर जाति पूरी दुनिया की समस्या बन जाएगी’… बाबा साहब की बात सच साबित हुई और दुनिया में जहां भी सवर्ण भारतीय हैं, वहाँ जाति की समस्या एक प्रमुख मुद्दा बन गई है। जन्म के आधार पर ऊंच-नीच का भेद करने वाले लोग दुनिया के जिस भी इलाके में गए, वहां जातिवाद को फैला दिया।
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