विश्व प्रसिद्ध बौद्ध धम्म गुरु, शांति कार्यकर्ता, कवि और आध्यात्मिक नेता थिच नहत हान्ह का शनिवार रात 95 साल की उम्र में वियतनाम में निधन हो गया। थिच न्हात हान्ह ने माइंडफुलनेस तकनीक के माध्यम से लोगों को शांत और अहिंसा के रास्ते पर लाने के लिए जीवनभर प्रयासरत रहे
हान्ह के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बताया गया कि ‘हमारे प्रिय शिक्षक थिच नहत हान्ह का वियतनाम के ह्यू में तू हिउ विहार में रात 12 बजे निधन हो गया।’ हान्ह ने उसी विहार में अंतिम सांस ली, जहां से उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की थी। उन्होंने विश्व शांति की खातिर दशकों तक काम किया। उन्हें पश्चिमी देशों में बौद्ध धर्म के अग्रदूत के रूप में जाना जाता था। उन्होंने फ्रांस में ‘प्लम विलेज’ की स्थापना की। 2013 में एक व्याख्यान में उन्होंने कहा था कि सुख व दुख की कलाएं हमेशा एक साथ चलती हैं, हमें दुख या पीड़ा का अच्छे से इस्तेमाल करते आना चाहिए, ताकि आनंद व खुशी पैदा की जा सके।
हान्ह सात भाषाएं जानते थे। उन्होंने 1960 के दशक के आरंभ में अमेरिका की प्रिंसटन व कोलंबिया यूनिवर्सिटी में व्याख्यान दिया था और 1963 में वियतनाम लौटे और अमेरिका-वियतनाम के बीच 1963 के युद्ध के खिलाफ बढ़ते विरोध का नेतृत्व किया था। इस दौरान कई बौद्ध भिक्षुओं ने आत्म दाह कर लिया था। 1975 में उन्होंने एक लेख में कहा था कि ‘मैंने कम्युनिस्टों व कम्युनिस्ट विरोधियों को एक दूसरे की हत्याएं करते व तबाह करते देखा था, क्योंकि ये मानते हैं कि सत्य पर उनका ही एकाधिकार है। मेरी आवाज को बमों व मोर्टारों के शोर में गुम कर दिया गया।‘
हान्ह ने 1960 के दशक में वियतनाम युद्ध के बीच अमेरिकी नागरिक अधिकार वादी नेता मार्टिन लूथर किंग से मुलाकात की थी। उन्होंने किंग को युद्ध के खिलाफ बोलने के लिए राजी किया था। मार्टिन लूथर किंग ने उन्हें ‘शांति और अहिंसा का दूत’ बताया और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया था। हालांकि किंग से मुलाकात करने के कारण दक्षिण वियतनाम सरकार ने उनके स्वदेश लौटने पर पाबंदी लगा दी थी।
न्हात के निधन की खबर सुनते ही मार्टिन लुथर किंग के बेटी बर्निश किंग ने ट्विटर पर अपने पिता और न्हात की फोटो शेयर की है और कहा है कि मेरे पिता के दोस्त थिच न्हात का निधन हो गया है. थिच न्हात के जीवन और विश्व शांति पर उनके प्रभाव का मैं सम्मान करती हूं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बौद्ध धम्म गुरु और माइंडफुलनेस के पिता के रूप में प्रसिद्ध थिच न्हात हान (Thich Nhat Hanh) के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए दुख जताया है. राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है कि माइंडफुलनेस के पिता थिच न्हात हान के अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदना है. शांति, अहिंसा और कृतज्ञता उनके उदार संदेश हमेशा इस दुनिया में गूंजते रहेंगे.
हान का जन्म 1926 में हुआ था. उनके बचपन का नाम जुआन बाओ था. 16 साल की उम्र में बौद्ध भिक्षु बन गए थे. उन्होंने जीवनभर शांति के लिए काम किया. वे बचपन से ही मेधावी थे और कई भाषाओं पर उनकी पकड़ थी. कुछ समय के लिए प्रिंसटन और कोलंबिया विश्वविद्यालयों में भी तुलनात्मक धर्म के बारे में पढ़ाया. 1963 में अमेरिका-वियतनाम युद्ध के दौरान वे वियतनाम लौट आए और युद्ध को रोकने और शांति स्थापना के लिए ऑर्डर ऑफ इंटर-बींग की स्थापना की. इसके बाद उन्हें वियतनाम से निर्वासित कर दिया गया. बाद में वे बहुत समय तक फ्रांस में रहे जहां से उनके लाखों अनुयायी बने. थिच नत हान ने अहिंसा और करुणा के बौद्ध सिद्धांतों पर आधारित कई संगठन स्थापित किए। उसके युवा और सामाजिक सेवा के स्कूलएक जमीनी स्तर पर राहत संगठन, जिसमें युद्धग्रस्त गाँवों, स्कूलों के पुनर्निर्माण और चिकित्सा केंद्रों की स्थापना के लिए 10,000 स्वयंसेवक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।