दुनियाभर के तमाम धनकुबेरों, नेताओं, व्यापारियों, खिलाड़ियों, सेलिब्रिटीज जैसे कई ताकतवर लोगों द्वारा टैक्स चोरी करने, टैक्स से बचने के लिए अपनी संपत्तियों को टैक्स हैवेंस में छिपाने, ऑफशोर कंपनियां खोलने, अपनी कुल संपत्तियों का खुलासा न करने और कानूनी एजेंसियों द्वारा दागी करार दिए गए लोगों के साथ व्यापार करने का बहुत बड़ा मामला एक बार फिर से सामने आया है.
इस सूची में भारत से जुड़े कई लोगों जैसे कि उद्योगपति अनिल अंबानी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी, क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, अभिनेता जैकी श्रॉफ, बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ, जैसे 300 से अधिक लोगों के नाम सामने आए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने पनामा पेपर्स के सात साल बाद अब ‘पैंडोरा पेपर्स’ नामक ग्लोबल इन्वेस्टिगेशन के तहत भारत से संबंधित ऐसे कई नामों के खुलासे किए हैं. इस पूरे इन्वेस्टिगेशन की अगुवाई इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) नामक संस्था ने की है.
पैंडोरा पेपर्स अब तक की सबसे बड़ी वैश्विक संयुक्त मीडिया इन्वेस्टिगेशन है, जिसमें दुनियाभर के 117 देशों के 150 से अधिक मीडिया संस्थानों के 600 से अधिक पत्रकारों ने मिलकर काम किया है.
यह आईसीआईजे की वजह से संभव हो पाया है, जिसने 1.19 करोड़ से अधिक गोपनीय दस्तावेजों को प्राप्त कर तमाम पत्रकारों के साथ साझा किया, जिन्होंने अपने देश से संबंधित नामों का खुलासा किया है.
टैक्स हैवेन उन देशों या आईलैंड्स को कहा जाता है जहां अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम टैक्स या कर लगता है. कई टैक्स हैवेन में बिल्कुल भी कर नहीं लगता है. ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवेन) के समान हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा करते हैं.
सचिन तेंडुलकर ने इससे पहले भी फेरारी कार विवाद में टैक्स चोरी करने की कोशिश की थी. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि अनिल अंबानी जो खुद को ब्रिटेन की कोर्ट में दिवालिया बताते हैं, उनके पास भी विदेश में 18 कंपनियां हैं।’
वहीं, पंजाब नैशनल बैंक से हजारों करोड़ का घोटाला करने वाले हीरा व्यापारी नीरव मोदी की बहन ने उसके भागने के एक महीने पहले ही एक ट्रस्ट बनाया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पनामा पेपर लीक के बाद भारतीयों ने अपनी संपत्ति को ‘रीऑर्गनाइज’ करना शुरू कर दिया। इसके मुताबिक क्रिकेट लेजेंड सचिन तेंदुलकर ने भी लीक के तीन महीने बाद ही ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में अपनी संपत्ति बेचने में जुट गए थे।