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बौद्ध भिक्षुओं के शरण में रूसी वैज्ञानिक :100 बौद्ध भिक्षुओं पर स्टडी कर रहे रूसी अंतरिक्ष विज्ञानी।

बौद्ध भिक्षुओं के शरण में रूसी वैज्ञानिक :100 बौद्ध भिक्षुओं पर स्टडी कर रहे रूसी अंतरिक्ष विज्ञानी।

दलाई लामा की अनुमति के बाद 100 बौद्ध भिक्षुओं पर स्टडी कर रहे रूसी अंतरिक्ष विज्ञानी।

रूस के अंतरिक्ष वैज्ञानिक इन दिनों तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं की शरण में हैं, पर मानसिक शांति के लिए नहीं बल्कि यह जानने के लिए कि वे कैसे हफ्तों तक मेडिटेशन में रह पाते हैं, गहन ध्यान की स्थिति कैसे लगाते हैं और वापस सामान्य अवस्था में किस तरह आते हैं। उनकी इन प्राचीन पद्धतियों का ज्ञान भविष्य में लंबी दूरी के अंतरिक्ष मिशन में यात्रियों के काम आएगा।

मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक 100 तिब्बती भिक्षुओं पर यह अध्ययन कर रहे हैं। लंबी दूरी के स्पेस मिशन के प्रमुख और मार्स-500 अभियान का नेतृत्व कर रहे प्रो. युरी बबयेव के मुताबिक भिक्षुओं द्वारा रखी जाने वाली शीतनिद्रा की स्थिति मंगल जैसे मिशन के दौरान महत्वपूर्ण साबित होगी।

प्रो. बबयेव की टीम खासतौर पर टुकडम (मरणोपरांत ध्यान) जैसे दावों का अध्ययन कर रही है। इसमें भिक्षुओं को चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया जाता है, इसके बावजूद वे हफ्तों तक बिना किसी क्षय के सीधे बैठे रहते हैं। यानि इतने दिन बाद भी उनके शरीर में मृत जैसी कोई दुर्गंध या अन्य लक्षण नहीं दिखता।

इसके अलावा चेतना की बदली हुई अवस्थाओं का इस्तेमाल हमारे लिए यह बहुत कारगर है, क्योंकि इसकी मदद से मेटाबॉलिज्म की गति बदली जा सकती है। इन अवस्थाओं को कई घंटों के ध्यान, एकाकीपन और मंत्रोच्चार की मदद से हासिल किया जाता है। इनसे गहरी एकाग्रता मिलती है। प्रो. बबयेव ने कहा कि हम हर संभावित तरीके की तलाश कर रहे हैं, जो हमारी मदद कर सके। उन्होंने बताया कि दलाई लामा की अनुमति के बाद ही अध्ययन शुरू किया गया है। हालांकि, महामारी के कारण इसमें थोड़ी देरी हुई।

रूसी अंतरिक्ष विज्ञानियों का मानना है कि तिब्बती भिक्षुओं के तरीकों और तकनीकों का इस्तेमाल लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए वरदान साबित हो सकता है। प्रो. बबयेव के मुताबिक ये तरीके शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना लोगों के अंतरिक्ष में जाने का ख्वाब पूरा करने में मदद करेंगे।

अंतरिक्ष यात्रियों को थकान कम महसूस होगी, आपसी संघर्ष भी नहीं होगा

वैज्ञानिकों की टीम यह भी जांच रही है कि गहन ध्यान की अवस्था में भिक्षुओं के दिमाग में किस तरह की विद्युत गतिविधि होती है। शोधकर्ता मानते हैं कि गहन ध्यान से दिमाग बाहरी हलचल से पूरी तरह मुक्त हो सकता है। फिलहाल टीम नासा के साथ मिलकर स्पेस फ्लाइट के दौरान ‘गहरी नींद’ के विकल्प पर शोध कर रही है। इस स्थिति में मेटाबॉलिज्म रुकने से विकिरण प्रतिरोध क्षमता बढ़ेगी। स्पेसक्राफ्ट के तंग परिवेश में घर्षण की संभावनाएं भी कम होंगी। यात्री थकान कम महसूस करेंगे और लंबे समय के मिशन के दौरान उनमें आपसी संघर्ष भी नहीं होगा।

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