महात्मा फुले, डॉ.बाबासाहब आंबेडकर के विचार हमेशा प्रासंगिक रहेंगे लेकिन उनके विचारों की चिकित्सा, समीक्षा कर मौजूदा समय में उसका कैसा उपयोग किया जा सकता है, यह देखना जरूरी है, यह प्रतिपादन हावर्ड और ऑक्सफोर्ड विद्यापीठ में संशोधक डॉ. सूरज एंगडे ने किया।
नागपुर बुद्धिस्ट एसोसिएशन व मैत्री मिशन द्वारा जातिअंत, समानता और भारतीयों की भूमिका विषय पर सीताबर्डी स्थित हिंदी मोर भवन में शनिवार को वैचारिक चर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। मंच पर विचारक व चिंतक अमिताभ पावडे, अंबेडकरी आंदोलन के कार्यकर्ता प्रा. जावेद पाशा, जोहर कांबले, श्रीराम कांबले उपस्थित थे, आवाज़ इंडिया टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमन कांबले मौजूद थे । अध्यक्षता सेंट पॉल स्कूल के संचालक राजाभाऊ टांकसाले ने की. इस समय आंतरजातीय विवाह करनेवाले 11 दम्पतियों को सत्कार किया गया.
बाबासाहब के विचार जीवंत, समृद्ध और परिवर्तन करने वाले चाहिए
डॉ. सूरज एंगडे ने कहा कि, महामानव के विचारों का मर्म समझने के लिए पहले उनके विषय का भक्तिभाव दूर करना होगा, तभी उनके विचारों का मर्म समझेगा। इसके लिए महात्मा फुले और बाबासाहब के विचारों की चिकित्सा करनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया, तो उनके शब्द, उनके विचार कुरान के वाक्य अनुसार साबित होंगे। कुरान के वाक्य में हेरफेर करने पर क्या हो सकता है, यह सबने देखा है। हमें बाबासाहब के विचार जीवंत, समृद्ध और परिवर्तन करने वाले चाहिए, जो समय-समय पर मार्गदर्शन करेंगे।
यदि बाबासाहब को हमने एक समय के दायरे में बंद किया, तो वह समाज के लिए आत्मघाती होने का खतरा है, इसलिए यह विचार जिन्होंने सुधारित तरीके से समाज में लाया, उनका अभिनंदन करता हूं। इसका मतलब मैं बाबासाहब पर टीका अथवा उनके विचार नकार रहा हूं, ऐसी बात नहीं है, लेकिन वैचारिक दृष्टि से समाज को समृद्ध करना है, तो उन विचारों से नया विचार तैयार होना चाहिए।
अंतरजातीय विवाह में तलाक का प्रमाण कम
राजाभाऊ टांकसाले ने कहा कि, अंतरजातीय विवाह में तलाक का प्रमाण सिर्फ 3 प्रतिशत है। इसके विपरीत स्वजाति विवाह में 18 प्रतिशत तलाक का प्रमाण है। सामाजिक जाति अंत के लिए अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अमिताभ पावडे ने कहा कि, कृषि और कार्पोरेट सहित उद्योग क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है। इस क्षेत्र में 98 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध है। केवल सरकारी नौकरी मैं आरक्षण है। वहां रोजगार का प्रमाण सिर्फ 2 प्रतिशत है। प्रा. जावेद पाशा ने कहा कि, संविधान ही जाति अंत की लड़ाई का सबसे बड़ा अस्त्र है।
मैं स्कॉलरशिप का लाभार्थी
डॉ. सूरज एंगडे ने कहा कि, महाराष्ट्र सरकार द्वारा विदेश में उच्च शिक्षा के लिए दी जाने वाली स्कॉलरशिप योजना काफी अच्छी है। इस स्कॉलरशिप के कारण ही मैं विदेश में शिक्षा के लिए जा सका।