आदिवसी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिला के टिंगीपुर गांव में बीते जुलाई को एक शादी समारोह का आयोजन हुआ। सतनामी पंथ को मानने वाले अरुण और विनीता ने इस मौके पर एक-दूसरे का हाथ थामा। शादी समारोह के बाद लोग नव विवाहित युगल को तोहफे दे रहे थे। वहीं एक नौजवान संजीत बर्मन और उनके साथियों ने इस युगल को एक किताब “हिंदू धर्म की पहेलियां : बहुजनो! हिंदू धर्म का सच जानो” भेंट किया। उनके इस भेंट को नवविवाहित जोड़े ने स्वीकार किया और डॉ. आंबेडकर द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया।
दरअसल, यह उस प्रयास का एक नजारा भर है जो युवा संजीत बर्मन बीते तीन वर्षों से कर रहे हैं। विवाह समारोह का निमंत्रण प्राप्त होने पर वे नवविवाहित जोड़े को ऐसी ही पुस्तकें तोहफे में देते हैं। फारवर्ड प्रेस से बातचीत में संजीत ने बताया कि “सामान्य तौर पर लोग ऐसे मौकों पर कोई सजावटी सामान, कपड़े, गहने या नकद राशि देते हैं। मैंने यह सोचा कि इन वस्तुओं की उपयोगिता बहुत सीमित होती है। इसलिए मैंने यह तय किया कि किताबें तोहफे में दी जाएं। इससे फुले-आंबेडकरवादी संदेश का प्रसार होगा”
जब आप लोगों को किताबें देते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है? पूछने पर संजीत ने बताया कि “पुस्तक देते समय हम मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे इसे पढ़ें, इसे सजावट की वस्तु न बनाएं। सामान्य तौर पर कोई कुछ नहीं पूछता। वजह यह कि मेरे संपर्क के लोग मेरी सोच के बारे में जानते हैं और वे गैरब्राह्मणवादी चेतना से लैस होते हैं, तो उन्हें किताबें अच्छी लगती हैं।”
यह खबर फॉरवर्ड प्रेस के सौजन्य से हमारे वाचकों के लिए साभार प्राप्त की है.