कोरोनाकाल के दौरान दुनिया में हुए दुष्परिणाम सामने आने लगे है। 2019 के बाद दुनियाभर में लोगों का भूख से संघर्ष तेजी से बढ़ा है। ऐसा दांवा यूनाइटेड नेशन की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड – 2022 के रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में दुनिया के 76.8 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हुये है। इनमें से लगभग 22.4 करोड़ यानी 29% लोग भारतीय है। ये संख्या दुनियाभर के कुल कुपोषितों की संख्या के एक चौथाई से भी अधिक है।
उस दो साल में भुखमरी की रफ्तार इतनी तेज हुई की, 2019 में दुनिया में 61.8 करोड़ लोगों को भूख का सामना करना पडा और 2021 आते-आते यह संख्या बढ़कर 76.8 करोड़ हो गई। पिछले 2 साल में जिन्हें एक वक्त का खाना नसीब नहीं हुआ ऐसे 15 करोड़ (24.3%) लोग बढ़ गए।
इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 2004-06 में 24 करोड़ की आबादी कुपोषित थी। इन्हें या तो एक वक्त का खाना नहीं मिल पाया था या इनके भोजन में पौष्टिक तत्व 50% से कम थे। दुनिया में भुखमरी पिछले 15 साल से लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसकी रफ्तार कोरोनाकाल के पिछले दो साल में तेज हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में भूख से जंग के मोर्चे पर धीमी रफ्तार में ही सही, कुछ सफलता जरूर मिली है। लेकिन, दूसरी ओर मोटापे की समस्या बढ़ रही है। 15 से 49 साल की उम्र वाले 3.4 करोड़ लोग ‘ओवरवेट’ कैटेगरी में आ गए हैं। जबकि, 4 साल पहले यह संख्या 2.5 करोड़ थी।
इसी तरह महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) की समस्या बढ़ी है। 2021 में कुल 18.7 करोड़ भारतीय महिलाएं एनिमिक पाई गईं। 2019 में यह संख्या 17.2 करोड़ के करीब थी। यानी 2 साल में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की संख्या डेढ़ करोड़ बढ़ गई है।
भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूसरे स्थान पर खाद्य उत्पादक देश है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2021 के अनुसार, दूध, दाल, चावल, मछली, सब्जी और गेहूं उत्पादन में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं। फिर भी देश की बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार है।