उत्तराखंड हाई कोर्ट ने को राज्य के एडवोकेट जनरल की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मंदिर में पूजापाठ के लाइव प्रसारण को शास्त्र अनुमति नहीं देते। कुछ दिन पहले ही हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाते हुए वहां के पूजा अनुष्ठानों का लाइव प्रसारण करने को कहा था। एडवोकेट जनरल (एजी) की दलील पर कोर्ट ने दो टूक कहा, ‘भारत लोकतांत्रिक राज्य है जहां कानून का शासन है शास्त्रों का नहीं।’
चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने एजी एसएन बाबुलकर से कहा कि वे धार्मिक तर्क नहीं दें क्योंकि उनका कोई कानूनी आधार नहीं है। चीफ जस्टिस का जवाब था, ‘अगर कोई ऐसा आईटी ऐक्ट है तो कृपया हमें दिखाएं जो कहता हो कि मंदिर में होने वाले पूजा अनुष्ठान की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती।’
एजी ने अपने जवाब में कहा था कि मंदिरों में पूजापाठ की लाइव स्ट्रीमिंग का फैसला देवस्थानम बोर्ड को लेने की अनुमति दी जाए। साथ ही यह भी कहा था कि कुछ पुजारियों का कहना है कि हिंदू शास्त्र इन विधि विधानों के लाइव प्रसारण को अनुमति नहीं देते हैं। इसी बात पर कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी की।
अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा, ‘शास्त्र इस देश को कंट्रोल नहीं करते। इस देश का नियंत्रण और इसके भविष्य का मार्गदर्शन भारत के संविधान के जरिए होता है। हम संविधान और उसके कानूनों के परे नहीं जा सकते। भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां कानून का शासन है शास्त्रों का नहीं।’