अमेरिका में न्यूयॉर्क के एक रास्तें को विश्वरत्न बोधिसत्व बाबासाहब डॉ. आंबेडकर का नाम दिया गया है. समस्त भारतीयों के लिए ये गौरव का क्षण है. श्री गुरु रविदास सभा और बेगमपूरा कल्चरल सोसाइटी ऑफ़ न्यूयॉर्क तथा आंबेडकर इंटरनेशनल मिशन अमेरिका के संयुक्त प्रयासों से यह ऐतिहासिक कार्य संभव हुआ है. 61’st वुडसाइड स्ट्रीट डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्ट्रीट इस नाम से अब न्यूयॉर्क का ये चौराहा जाना जायेंगा।
द न्यूयॉर्क सिटी काउन्सिल एंड न्यूयॉर्क डिपार्टमेंट ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन इन्होने इस प्रस्ताव को सहमति दी. न्यूयार्य में डिस्ट्रिक्ट 26 की काउंसिल मेंबर जूली वोन ने खुद इसकी जानकारी ट्विट की और डॉ. आंबेडकर को महान बताते हुए उनके योगदान का जिक्र किया।
जब इस सड़क को आधिकारिक तौर पर अनाउंस किया गया, और नाम पर से पर्दा हटा तो वहां इस खास पल को सेलिब्रेट करने के लिए हजारों अंबेडकरवादी मौजूद थे। खास बात यह भी रही कि इस मौके का साक्षी बनने के लिए अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले तमाम अंबडकरवादी पहुंचे थे। उन सभी ने जय भीम के नारे के साथ इस पल को अपने कैमरों में कैद किया।
डॉ आंबेडकर उच्च शिक्षा के लिए 1913 में इसी न्यूयॉर्क शहर के कोलम्बिया विश्वविद्यालय पहुंचे, वहां उन्होंने 1915 में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इसी कोलंबिया विश्वविद्यालय में उनकी प्रतिमा स्थापित है तथा उनके नाम पर एक शोध चेयर भी है.
डॉ. आंबेडकर अपने समय में दुनिया में सबसे अधिक उच्च शिक्षित माने जाते थे, तथा वे 20वीं सदी के दुनिया के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता थे। उन्होंने कहा था कि “शिक्षा एक बाघिन का दूध है, और जो कोई भी इसे पीएगा वह बाघ की तरह गुर्रायेगा जरूर।” उस समय डॉ अंबेडकर के पास भारत में किताबों का सबसे बेहतरीन संग्रह था। मशहूर किताब इनसाइड एशिया के लेखक जॉन गुंथेर ने लिखा है, ‘1938 में मेरी राजगृह में अंबेडकर से मुलाकात हुई तो उनके पास 8,000 किताबें थीं, उनकी मृत्यु होने तक ये संख्या 35,000 हो चुकी थी।’
अमेरिका के लगभग 20 से अधिक शहरों में डॉ. आंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है.