अरब के मुल्कों ने बुद्धिज्म से ही अंक – प्रणाली सीखी है…..
चीन ने मार्शल आर्ट सीखा है….श्रीलंका ने शील सीखा है….यूरोप ने कार्य – कारण सिद्धांत सीखा है…
.जापान ने काताकाना और हिराकाना अक्षरमालाएँ बनाई हैं….अमेरिका ने संघ – प्रणाली सीखी है….
बर्मा, स्याम, जावा, कंबोडिया आदि देशों ने संशोधित धम्म लिपि को अपनाया है…..
नेपाल, तिब्बत, म्यांमार आदि पड़ोसी देशों ने अनेक पांडुलिपियाँ संरक्षित कर गुरु वाणी को बचाए रखा है……
दुनिया के अनेक देशों ने विपस्सना सीखी है….
दुनिया के अनेक देशों ने अपनी – अपनी भाषा में बुद्ध – वाणी का अनुवाद किए हैं….
दुनिया के अनेक देशों के छात्रों ने भारत के बौद्ध विहारों में शिक्षा ग्रहण की है….
यदि भारत विश्व गुरु था तो वह बुद्ध के बलबूते था …..
राजेंद्र प्रसाद सिंह के फेसबुक वॉल से साभार