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☸” मनोबल कमजोर ना होने दीजिये “☸

☸” मनोबल कमजोर ना होने दीजिये “☸

                                 “मन “

          ” मन शत्रु भी  है और मन मित्र भी है |

             मन कमजोर भी है और मन बलवान भी है |

             मन से मन को जोड़ा भी  जा  सकता है और

             मन से मन को तोड़ा भी जा सकता है |

             मन दवा भी है और मन दुवा भी है |

             मन दर्द भी है और मन राहत भी है |

              ये  मन आखिर  मन है |

              इसे  समझो तो ये बहोत कुछ है और

             ना समझें तो ये कुछ भी नही है |

             यही मन जीवन भी देता है और

             यही मन जीवन लेता भी है | “

            यही मन संसार का रंग भी दिखाता है और

            यही मन निर्वाण की सुगंध भी देता है |”

      वर्तमान मे फैला जा रहा corona का प्रकोप या फिर उसके नाम पर  और कुछ भी है,ये कुछ कहा नही जा सकता | पर इसका विशेष रूप से आम जनता पर जो घातक परिणाम हो रहा है, वह बहोत ही गंभीर और असुविधाजनक दिखाई दे रहा है | जिनकी नौकरी आदि है उनका किसी तरह गुजारा हो रहा है, पर जिनकी ना कोई नौकरी है, और ना ही कुछ है, ऐसे मजदूर आदि लोगोका जीवन बहोत ही संकट मे है | ऐसे स्थिति मे एकदूसरे की जितनी हो सके उतनी सहायता करना, एकदूसरे का मनोबल बढ़ाना ये इन्सान होने के नाते हर किसी का फ़र्ज बनता है |

ज्यादा से ज्यादा corona के नाम पर बहोत लोग मानसिक द्रिष्टि से गुजर रहे है | क्योंकी, जब व्यक्ति का मानसिक जगत कमजोर हो जाता है, उसका असर  99% प्रतिशत उसके शरीर पर बुरी तरह से हो जाता है के  जिसके कारण  व्यक्ति अपने ” मेन्टल और फिजिकल ” का पूरी तरह संतुलन खो देता है और अकाली मृत्यु का शिकार बन जाता है |

      मरीज को दवा चाहे कितनी भी महंगी क्यों ना पीला दी जाये,  पर उसका अगर अंदर से मनोबल कमजोर हो जाता है, या फिर टूट जाता है तो उस महंगी दवा का असर भी उसके शरीर को स्वस्थ करने मे असफल हो जाता है | यही कारण है की भगवान तथागत ने हमेशा संसार के लोगो को अपनी सम्यक स्मृति बनाये रखने के लिए, अपना मनोबल मजबूत और स्थिर बनाये रखने के लिए उपदेश किया है |

      अपने सामनेवाले स्थिति को समझें, अपने कमजोर मन को समझें, उसे जाने और पहेचाने | अपने भीतर के मनोबल को जगाईये, उसे बढाईये | क्योंकी, मन की इच्छाशक्ति के अतिरिक्त और कोई दूसरी शक्ति इस संसार मे नही है | इसलिए, ऐसे संकट की परिस्थितियो मे भी अपने मन को कमजोर मत होने देना, अपने जीवन मे किये हुए हर पुण्य कर्म का स्मरण करना ताकी इस मन को सकारात्मक और भी ऊर्जा मिल जाये और इस कठीन परिस्थतियों मे से हम फिर से उभर आए और नये उम्मीद के किरण के साथ फिर से जिने लगे |

      क्योंकी, देर सबेर हर स्थिति बदलती रहती है | परिवर्तन होना इसका अपना स्वभाव है | सबको जीवन जिने की एक नई ताकत और उम्मीद मिले, सबके जीवन स्वस्थ और सशक्त बने, सबके जीवन मे सुख शांती के फूल खिले, त्रिरत्न के प्रताप से सबके दुःख दूर होकर सबके मन मे सकारात्मक सोच और ऊर्जा का प्रादुर्भाव हो जाये इसी सद्भावना के साथ……!

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