सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कल लखीमपुर खीरी में हुई घटना हुई. 8 लोगों की की मौत हो गई. विरोध इस तरह नहीं हो सकता. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती हैं, सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. जान माल की हानि होती है, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब मामला पहले से ही अदालत में है तो लोग सड़कों पर नहीं उतर सकते.
शीर्ष अदालत तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यहां जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने का प्राधिकारियां को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, विरोध क्यों हो रहा है ? कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी है. अटार्नी जनरल ने कहा, अदालत को कहना चाहिए कि जब कानून पर पहले से ही सुनवाई चल रही है तो विरोध नहीं चल सकता. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की ओर ले जाता है. जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक ओर तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी जारी है.
शीर्ष अदालत कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत’ और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में संबंधित प्राधिकारियों को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था.
पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है. पीठ ने तीन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर किसान संगठन की याचिका भी अपने यहां स्थानांतरित कर लिया .