ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है की कम से कम 500 लोगों के साथ जनसभा करने की इजाजत दी जाए.एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही.
ओवैसी ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान होने जा रहे पांच राज्यों के चुनावों को लेकर कहा, ‘अब जब चुनाव का बिगुल बज चुका है तो मुझे नहीं लगता है कि हम शिकायत कर सकते हैं क्योंकि चुनाव का शिड्यूल आ चुका है तो चुनाव लड़ना पड़ेगा. हालांकि हालात थोड़े ठीक नहीं हैं, लेकिन आगे बढ़ना पड़ेगा.’
उन्होंने कहा, ‘फिजकल रैलियों, पदयात्रा और पब्लिक से बातचीत पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है, तो हमने ये कहा है कि नीति आयोग की एक रिपोर्ट है, जिसमें उत्तर प्रदेश में 100 इंटरनेट सब्सक्राबर्स पर सिर्फ 39 लोग हैं, जोकि भारत में सबसे कम है. वहीं, एनएसस का डेटा है कि केवल चार फीसदी लोगों के पास उत्तर प्रदेश में कंप्यूटर है और खाली 11 फीसदी लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा है. यूपी में 19 फीसदी दौलतमंदों के पास इंटरनेट है. सिर्फ 6 फीसदी गरीब लोगों के पास है. ये सब देखते हुए यकीनन एक डिजिटल डिवाइट है.’
उन्होंने चुनाव आयोग को लेकर एक शेर पढ़ा, ‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर चिराग जलता है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त 15 जनवरी के बाद गौर करेंगे. कम से कम 500 लोगों के साथ जनसभा करने की इजाजत दी जाए. हम उत्तर प्रदेश में बहुत दिनों से मेहनत कर रहे हैं.’
डिजिटल डिवाइड से किसी राजनीतिक पार्टी को फायदा होने के एक सवाल पर ओवैसी ने कहा, ‘जहां तक डिजिटल डिवाइड की बात है, तो ये बिल्कुल सच है. यूपी में खुद डिजिटल डिवाइड है. यूपी में कई ऐसी जगह हैं, जहां ग्रे और ब्लैक एरिया हैं. अगर आप चुनाव लड़ रहे हैं तो फ्री एंड फेयर का मतलब ये होता है कि एक लेवल प्लेइंग फील्ड हो. यकीन है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और दूसरे चुनाव आयुक्त इस बात को नोटिस में लेंगे.’
- उन्होंने कहा, ‘चुनाव अब लड़ना है, उत्तर प्रदेश की जनता अपने पसंद और नपसंद का इजहार जरूर करेगी. उसके लिए जो कम्यूनिकेटिंग के टूल हैं, चाहे वो जनसभा हो, पदयात्रा हो, सोशल मीडिया हो… अब देखना पड़ेगा कि चुनाव आयोग के रेगुलेशन के आधार पर हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं. मगर, समंदर में कूदकर, समंदर की गहराई से क्या शिकवा करेंगे. अब तो आगे बढ़ चुके हैं तो हम उम्मीद करेंगे कि चुनाव आयोग इस पर दोबार गौर करेगा और कोई अच्छा फैसला लेगा.’