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आज नहीं तो 1881 से ही आरक्षण के हकदार थे मराठा… मनोज जरांगे

आज नहीं तो 1881 से ही आरक्षण के हकदार थे मराठा… मनोज जरांगे

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर 5 दिन का अनशन किया. उन्होंने 1881 के हैदराबाद गजट का हवाला देते हुए आरक्षण का ऐतिहासिक अधिकार बताया. जरांगे ने कुछ ओबीसी नेताओं पर मराठा समुदाय के विकास में बाधा डालने का आरोप लगाया और गरीबों के शोषण के खिलाफ भी आवाज उठाई.

मराठा समुदाय 1881 से आरक्षण का पात्र रहा है, लेकिन उसने पहले इसकी कभी मांग नहीं की क्योंकि यह एक प्रगतिशील समूह रहा. अब उसे अपनी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आरक्षण की जरूरत पड़ी है. ऐसा मत मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने व्यक्त किया है. उन्होंने शुक्रवार को छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में पत्रकारों से बातचीत की है,

ओबीसी नेता छगन भुजबल पर अपने समूह के अन्य लोगों को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते ऐसा आरोप जरांगे ने लगाया है। उन्होंने दावा किया, ‘कई लोग सरकारी आदेश (जीआर) की आलोचना कर रहे हैं. हालांकि वे हमारे समुदाय से हैं और मराठों के लिए सहानुभूति रखते हैं. जारांगे ने कहा कि जीआर के मसौदे में जो भी गलत लगा, उसे वहीं (मुंबई में) बदलवा दिया है। आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन के दौरान मराठा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे. मंत्री प्रताप सरनाईक और उदय सामंत इस पर काम कर रहे हैं यह जानकारी भी उन्होंने दी.

गरीबों का शोषण ना हो : जरांगे

भुजबल दूसरे ओबीसी नेताओं का शोषण करते हैं और उन्हें दरकिनार कर देते हैं. जब तक वह बने रहेंगे, किसी (ओबीसी) को उभरने नहीं देंगे ऐसा आरोप भी मनोज जारांगे ने लगाया है। साथ ही बंजारा समुदाय ने गजट के आधार पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग की है और अगर उनकी मांग जायज है, तो उन्हें आरक्षण मिलना ही चाहिए ऐसा मत जारांगे ने व्यक्त किया है.

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