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मोदी सरकार का स्पष्ट जवाब, बहुजनों को अब आरक्षण नहीं मिलेंगा !

मोदी सरकार का स्पष्ट जवाब, बहुजनों को अब आरक्षण नहीं मिलेंगा !

केंद्र की मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है की सरकारी कंपनी का अगर निजीकरण किया जाता है तो बहुजन समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेंगा।
सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) का निजीकरण करने का फैसला किया जाता है तो नागरिकों का एक वर्ग अपने रोजगार आरक्षण को खो देगा. दरअसल, सरकार ने यह बात कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के एक सवाल के जवाब में कही. कार्ति चिदंबरम ने केंद्रीय वित्त मंत्री से पूछा, “क्या सार्वजनिक उपक्रमों, विशेष रूप से भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के प्रस्तावित निजीकरण और विनिवेश से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों में कमी आएगी ?

चिदंबरम ने वित्त मंत्रालय से सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSU) में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए “स्वीकृत आरक्षित पदों” के विवरण के बारे में भी पूछा. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार के पास विनिवेश के बाद सीपीएसयू, विशेष रूप से बीपीसीएल में इन आरक्षणों को जारी रखने की कोई योजना है. चिदंबरम को जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री भागवत किसनराव कराड ने कहा कि आरक्षण नीति केवल सरकारी कंपनियों में लागू होती है और विनिवेश के बाद से एक कंपनी सरकारी सहायक नहीं रह जाती इसलिए आरक्षण नीति लागू नहीं होगी.
वित्त राज्य मंत्री ने कहा, ‘विनिवेश मामलों के लिए नोडल विभाग होने के नाते डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट ने सूचित किया है कि आरक्षण नीति केवल सरकारी कंपनियों में लागू है और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के रणनीतिक विनिवेश के बाद यह एक सरकारी कंपनी नहीं रहेगी.’

सीपीएसयू में काम करने वाले आरक्षित श्रेणियों के लोगों के कुल आंकड़ों के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सीपीएसयू में 919479 कर्मचारियों में से लगभग 160,384 अनुसूचित जाति पृष्ठभूमि से आते हैं और कुल कर्मचारियों के 17 फीसदी हैं. लगभग 99693 लोग अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि से हैं, जोकि कुल कर्मचारियों के 10 फीसदी से अधिक है. इन दोनों के अलावा सीपीएसयू में ओबीसी श्रेणी के 198581 लोग भी कार्यरत हैं. कुल मिलाकर ये आरक्षित श्रेणी के कर्मचारी सीपीएसयू में 49.8 फीसदी हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को इस वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के लिए एक विस्तृत रोडमैप की घोषणा की थी. अगर सरकार इन सार्वजानिक क्षेत्र को निजी कंपनियों के हाथ में देती है तो निश्चित तौर पर अनु. जाती-जनजाति-ओबीसी वर्ग के आरक्षण को धक्का पहुंचेंगा।

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