मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) की मदुरै बेंच की सिंगल बेंच ने हाल के एक फैसले में तमिलनाडु के सभी लॉ कॉलेजों को डॉ. बी.आर. अंबेडकर की तस्वीरें लगाने का निर्देश दिया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि डॉ अम्बेडकर प्रत्येक कानून छात्र के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं, इसलिए कानूनी अध्ययन निदेशक, चेन्नई से एक परिपत्र जारी करने का अनुरोध किया कि तमिलनाडु के सभी सरकारी लॉ कॉलेजों में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के चित्र की स्थापना अनिवार्य रूप से की जाये। न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की पीठ ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं। वह सामाजिक मुक्ति के प्रतीक हैं।
जस्टिस जी.आर. मद्रास उच्च न्यायालय के स्वामीनाथन ने अनुसूचित जाति के एक छात्र की याचिका पर विचार करते हुए आदेश पारित किया।
याचिका में छात्र एस. शशिकुमार ने मांग की थी कि तस्वीर को प्रिंसिपल के कमरे में स्थापित किया जाए।
शशिकुमार थेनी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के चौथे वर्ष के छात्र हैं। वह डॉ. आंबेडकर की तस्वीर लगाने की मांग को लेकर प्रिंसिपल के कमरे में घुसे। इस दौरान छात्र और कॉलेज के अधिकारियों के बीच झगड़ा हुआ।
छात्र चाहता है कि कॉलेज में डॉ. अम्बेडकर की तस्वीर लगाई जाए और पाठ्यक्रम तमिल भाषा में पढ़ाया जाए। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में अपने तीन प्रोफेसरों को व्यक्तिगत रूप से नामित किया।
वहीं कॉलेज प्रशासन की ओर से आरोप लगाया गया है कि छात्र ने प्रिंसिपल को अभद्र और अपमानजनक शब्द कहे हैं।
इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को प्रिंसिपल को संबोधित माफी का एक हस्तलिखित पत्र देने का आदेश दिया, ताकि कॉलेज प्रबंधन इस मुद्दे को शांतिपूर्वक सुलझा सके और बात कर सके।
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा कि डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक मुक्ति के प्रतीक हैं। उनकी विद्वता अद्वितीय है और वे हर कानून के छात्र के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हो सकते हैं। प्रिंसिपल के कमरे में अंबेडकर की तस्वीर को स्थापित किया जाए।