इस खत में बाबा साहब ने ना सिर्फ माता रमाई के संघर्ष को बयां किया बल्कि उनके प्रति अपने अथाह प्रेम को भी ज़ाहिर किया। बाबा साहब कहते हैं ‘रमा मैं सोचता हूं, तुम अगर मेरी ज़िंदगी में ना होती तो मेरा क्या होता?’
त्याग और करूणा की मूर्ति माता रमाबाई आंबेडकर की जयंती पर पढ़िए बाबा साहब डॉ आंबेडकर का वो ऐतिहासिक खत जो उन्होंने लंदन से रमाबाई को लिखा था। इस खत में बाबा साहब ने ना सिर्फ माता रमाई के संघर्ष को बयां किया बल्कि उनके प्रति अपने अथाह प्रेम को भी ज़ाहिर किया।
माता रमाबाई को डाॅ. आंबेडकर का दिल छू लेने वाला ऐतिहासिक पत्र
रमा, मैं ज्ञान का सागर निकाल रहा हूं। मुझे और किसी का भी ध्यान नही है। परंतु यह ताकत जो मुझे मिली है, उसमें तुम्हारा भी हिस्सा है। तुम मेरा संसार संभाले बैठी हो। आंसुओं का जल छिड़ककर मेरा मनोबल बढ़ा रही हो। इसलिए मैं बेबाक तरीके से ज्ञान के अथाह सागर को ग्रहण कर पा रहा हूं।