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भगवान बुद्ध के वचन हैं – धम्मो रक्खति रक्खिता” जो धम्म की रक्षा करता है, धम्म उसकी रक्षा करता है।

भगवान बुद्ध के वचन हैं – धम्मो रक्खति रक्खिता” जो धम्म की रक्षा करता है, धम्म उसकी रक्षा करता है।

।।चौतरफा सुरक्षा।। आचार्य राजेश चंद्रा जी के कलम से

सुरक्षा व बचाव का प्रयास सिर्फ शारीरिक स्तर पर हो रहा है- सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क, वैक्सीनेशन, आइसोलेशन, क्वारंटीन, पैरासीटामोल, मेट्रोल, ऑक्सीजन, आदि आदि…
लेकिन इस वैश्विक महामारी ने मानव के मन पर भी प्रहार किया है। मन भय‌, फोबिया से भरा है, नकारात्मक विचारों से ग्रसित है, घबराहट (पैनिकनेस) से कंपित है, लग रहा है जैसे मौत आसपास मंडरा रही है, वह खिड़की से झांक रही है, वह द्वारे पर खड़ी है, लग रहा है जैसे वायरस हवा में तैर रहा है…
भावनात्मक स्तर पर महामारी का संक्रमण हुआ है- लोग अवसाद में हैं, जीवन के प्रति नैराश्यपूर्ण हैं, रक्तचाप बढ़ रहा है, हृदयाघात हो रहा है, मस्तिष्काघात (ब्रेनहैम्रेज) हो रहा है, चिन्ता, चिड़चिड़ारन, तनाव, विक्षिप्तता, असुरक्षा घर कर रही है…
महामारी एक प्राकृतिक प्रकोप भी है, धार्मिक, आध्यात्मिक भूचाल भी है, आलम यह है कि, दवा बेअसर है, दुआ बेअसर है। पानी बेअसर है, हवा बेअसर है।
लोगों की बरसों बरस की आस्थाएं डगमगा गयीं हैं। न प्रार्थनाएं सुनी जा रहीं हैं, न दुआ का असर हो रहा है, मंत्र शक्तिहीन हो गये हैं, आरती, चालीसा, स्तुति‌ सब बेअसर हो गये हैं, दुआघर, प्रार्थना स्थल सब बन्द हो गये हैं…श्रद्धा-आस्था का आखिरी मस्तूल भी टूट गया है! अपनी आँखों के सामने अपने चहेते तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, कोई प्रार्थना, कोई दुआ काम नहीं कर रही है…
इस चौतरफा प्रहार से बचाव व सुरक्षा के उपाय भी चौतरफा करने होंगे।
शारीरिक सुरक्षा:
अब तक प्रचारित, प्रसारित सारे उपाय सिर्फ शारीरिक सुरक्षा व बचाव से सम्बन्धित हैं, उनका अनुपालन अनिवार्य है ही- सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क, वैक्सीनेशन, आइसोलेशन, क्वारंटीन, पैरासीटामोल, मेट्रोल, विटामिन सी, विटामिन डी, ऑक्सीजन, काढ़ा, गिलोय, नीम, प्राणायाम, व्यायाम, योगासन, लाॅकडाउन का अनुपालन आदि…
मानसिक सुरक्षा:
महामारीजनित मानसिक आक्रमण से बचाव के लिए सकारात्मक विचारों वाला साहित्य पढ़िये, कविताएं, शायरी पढ़िये, सकारात्मक लोगों से संवाद कीजिए, सुबह उठते ही अखबार मत पढ़िये, सोशल मीडियासे दूरी बनाइये, कोरोना संक्रमण से ग्रसित व मुक्त हो चुके लोगों से बात कीजिये, जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं उनकी जीवनशैली देखिये, सीखिये…
भावनात्मक सुरक्षा
भावनात्मक सुरक्षा के लिए खिलखिलाकर हँसिये, लतीफे सुनिये, सुनाइये, बच्चों के साथ खेलिये, बागवानी कीजिये, सितार वादन, बांसुरी वादन, जलतरंग आदि शब्दरहित संगीत सुनिये, थोड़ा नृत्य कीजिये, पुराने मित्रों से बात कीजिये, धम्मपद पढ़िये, अतीत व भविष्य से परे  वर्तमान में रहने का प्रयास कीजिये, आदि इत्यादि।
आध्यात्मिक सुरक्षा
आध्यात्मिक सुरक्षा के लिए ध्यान कीजिये, आती-जाती‌ सांसों का अवलोकन कीजिये। सांसों के अवलोकन का अर्थ है जीवन का अवलोकन। सांस जीवन है। सांस थमी कि जीवन खत्म। वर्तमान से जुड़ने का यह सर्वोत्तम उपाय है। सबके कल्याण की मंगलकामनाएं कीजिये, कुछ लोगों से माफी मांग लीजिये, कुछ लोगों को माफ कर दीजिये, जहाँ तक हाथ पहुँच‌ सके परोपकारी कार्यों में संलग्न होइये या जो प्रमाणिक लोग संलग्न हैं उन्हें तन या मन या धन अथवा सभी सम्भव रूपों में सहयोग कीजिये। सरल-सा सूत्र याद रखिये- जो बचाएगा, उसे कुदरत बचाएगी। जो सिर्फ अपने को बचाने की चिन्ता में रहेगा वह असुरक्षित रहेगा। दु:खता, अनित्यता का चिन्तन कीजिये, रचनात्मक व सकारात्मक कार्यों में स्वयं को व्यस्त कीजिये, पेड़ों का आलिंगन कीजिये, फूलों से बातें कीजिये, पुण्य कर्म कीजिये, कुछ भी नहीं दे सकते तो कम से कम मुस्कुराहट दीजिये, शुभकामनाएं दीजिये…
समन्वय आन्दोलन सभी स्तरों पर सक्रिय है- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक।

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1 Comment

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  • 0 / 10
  • Chandu , May 31, 2021 @ 1:25 pm

    Thanks

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