Awaaz India Tv

मायावती की विरासत संभालने को आकाश आनंद तैयार!

मायावती की विरासत संभालने को आकाश आनंद तैयार!

राजनीति की धुरंधर खिलाड़ी बसपा सुप्रीमो मायावती की पाठशाला में यूं तो कई विद्यार्थी है। लेकिन अब एक नए शिष्य को लेकर मायावती सुर्खियों में है। चार पहले पैराशूट से राजनीति में लाए गए आकाश आनंद को मायावती ने दक्षिण भारत से लांच कर दिया हैं

आकाश आनंद ने पहली अप्रैल को केरल की धरती से अपनी पहली सियासी जनसभा का आगाज किया और एक तरह से बसपा के अधिकृत तौर पर उत्तराधिकारी दावा भी ठोंका. एक ओर बसपा के राजनीतिक विरोधी मायावती के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि धुरविरोधी पार्टियों को बसपा पर परिवारवाद का आरोप लगाने का सुनहरा मौका मिलेगा.

आकाश आनंद ने मायावती की तरह ही पढ़-पढ़कर भाषण दिया. कोरोना महामारी से निपटने में उन्होंने सरकार को नाकाम बताया. विरोधी पार्टियों के साम-दाम-दंड-भेद के हथकंडो सावधान रहकर चुनाव प्रचार करने की हिदायत उन्होंने दी.मायावती के नेतृत्व में बसपा को वोट देने की अपील उन्होंने की। मायावती के आदेश पर बसपा उम्मीदवारों को विजयी करने की बात उन्होंने कही.

मान्यवर कांशीराम ने बसपा को भाई-भतीजावाद से दूर रखा था लेकिन मायावती ने पार्टी में परिवारवाद की राजनीती शुरू कर दी है. जिससे बसपा के कैडर नाराज है. आकाश आनंद की जगह बसपा जैसे कैडर बेस पार्टी में एक भी अच्छा मायावती को नजर नहीं आता या उन्हें पार्टी को अपनी निजी जागीर बनाये रखना है ऐसे सवाल कार्यकर्ताओं के मन में है. 2012 के बाद मायावती के नेतृत्व में पार्टी पूरी तरह से सिमट रही है.

लेकिन पार्टी अपने ट्रेडिशनल राजनीती में ही गुंग है. कांशीराम साहब ने जैसे नए सृजन या नवनिर्मिति से पार्टी को एक्टिव रहा उस तरह मायावती नहीं सोचती. जिसके कारण उत्तर प्रदेश भारत के सभी राज्यों में पार्टी के जनाधार लगातार घटता जा रहा है. जिस तरह के मोदी के भक्त है वैसे ही मायावती के भक्तों की कोई कमी नहीं इसलिए बाबासाहब ने संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण राजनीती में भक्ति का विरोध किया था, इससे राष्ट्र या संघटन गर्त में जा सकते है ऐसा इशारा उन्होंने दिया था.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *