दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश में एक जनमत संग्रह कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस जनमत संग्रह में देश की जनता से पूछा जाए कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार और चंद दोस्तों के लिए इस्तेमाल होना चाहिए या फिर आम लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और अच्छी सड़कें बनाने के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। केजरीवाल के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि अगर जनता को फ्री सुविधाएं दी जाएंगी, तो इससे देश को नुकसान होगा और टैक्स देने वालों के साथ धोखा होगा। केजरीवाल ने कहा कि टैक्स देने वालों के साथ धोखा उनके बच्चों को अच्छी और फ्री शिक्षा और लोगों को अच्छा इलाज देने से नहीं होता है। उनके साथ धोखा तब होता है, जब अपने दोस्तों के कर्जे माफ करते हैं। अगर 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ नहीं किए जाते, तो आज देश इस तरह घाटे की स्थिति में नहीं होता और दूध-दही पर जीएसटी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर जनता से मिले टैक्स से जनता को ही सुविधाएं नहीं देंगे और सारी सुविधाएं अपने दोस्तों को देंगे, तो फिर जनता के साथ धोखा ही होगा।
दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस सब से मेरे मन में शक पैदा होता है कि क्या केंद्र सरकार की आर्थिक हालत बहुत ज्यादा खराब तो नहीं है, पिछले 75 सालों से सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिल रही है सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिल रहा है तो अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन सारी चीजों को बंद करने की बात या इनका विरोध क्यों पैदा हो गया ? क्या केंद्र सरकार की आर्थिक हालात ठीक है?
सैनिकों के लिए केंद्र सरकार के पास पैसा नहीं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि अभी कुछ दिन पहले केंद्र अग्निवीर योजना लेकर आए तो कहा गया कि सैनिकों का पेंशन बिल इतना है कि केंद्र सरकार बर्दाश्त नहीं कर पा रही. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि केंद्र सरकार कह रही है कि हमसे सैनिकों की पेंशन बिल बर्दाश्त नहीं हो रही. आज तक किसी सरकार ने यह नहीं कहा कि देश की सुरक्षा के लिए पैसे की कमी हो गई है. सैनिकों को पेंशन देकर हम उनपर कोई एहसान नहीं करते बल्कि वह हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगाकर एहसान करते हैं. बॉर्डर पर खड़े होकर देश की रक्षा करते हैं.ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार सैनिकों की पेंशन का बिल भी नहीं दे पा रही.
8वां वेतन आयोग भी नहीं बना रही हैं केंद्र सरकार
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि अभी कुछ दिन पहले कहा गया कि हर 5/5 साल में केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए एक वेतन आयोग बनाती है. ऐसे में आठवां वेतन आयोग अभी बनने वाला था, लेकिन अब केंद्र सरकार कह रही है हम वेतन आयोग नहीं बना रहे, केंद्र सरकार के पास अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए भी पैसा नहीं बचा तो केंद्र सरकार का सारा पैसा कहां गया?
गरीबों के लिए बजट में 25% की कटौती
अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि देश का सबसे गरीब आदमी जिसके पास कुछ भी नहीं होता उसको सरकार 100 दिन के लिए मजदूरी का काम देती है और फिर पैसा देती है. लेकिन केंद्र सरकार कह रही है हमारे पास इनको देने के लिए भी पैसा नहीं है. इस के बजट में 25% की कटौती भी कर दी गई, सरकार कह रही है पैसा नहीं है. दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाने से केंद्र सरकार को लगभग साढ़े 3 लाख करोड़ की सालाना कमाई होती है., अब कह रहें हैं कि सरकारी स्कूल या तो बंद किए जाएं या फिर फीस ली जाए, वैसे ही सरकारी स्कूलों के अंदर पढ़ाई खरब है, अगर फीस लग गई तो बच्चों को कोई नहीं पढ़ा पाएगा, देश के आधे से ज्यादा बच्चे अनपढ़ रह जाएंगे, देश आगे कैसे बढ़ेगा? कह रहे हैं कि सरे सरकारी अस्पतालों में पैसा लगाना चाहिए, मुफ़्त इलाज बंद होना चाहिए, गरीब आदमी जिसके पास पैसा नहीं है वो कहां से लाएगा ? गरीब आदमी बिना इलाज के मर जाएगा। कई राज्यों ने तो सरकारी स्कूलों में 120 से 500 रुपए तक फीस लेना भी शुरू कर दिया है, एक आदमी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए इतना पैसा कहां से लाएगा ? अब ये कह रहे हैं कि फ्री का राशन भी बंद होना चाहिए.