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आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई ; फिर जाएंगे जेल बाहुबली ?

आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई ; फिर जाएंगे जेल बाहुबली ?

डीएम जी कृष्णैया की हत्या में दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। 8 मई को मामले पर सुनवाई होगी। 29 अप्रैल को डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने पूर्व सांसद की रिहाई को चुनौती दी थी। उनकी ओर से दायर याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गई थी।

जेल मैनुअल में बदलाव के बाद बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा हुए थे। भले ही आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की शादी की तैयारियों में जुटे हैं। लेकिन जेल से रिहाई के बाद भी उनकी मुश्किलें थमती नहीं दिख रही हैं। बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। पटना हाईकोर्ट में भी पीआईएल दायर की गई हैं।

वोट बैंक की राजनीति का प्रभाव : उमा देवी

जी कृष्णैया की पत्नी उमा सदमे में हैं। वह कहती हैं- ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। वह रिहाई को खुद के साथ अन्याय बताती हैं। पहले दोषी को फांसी की सजा हुई थी, फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। अब सरकार उसकी रिहाई करा रही है। ये बिल्कुल सही नहीं है।

आनंद मोहन की रिहाई पर डीएम जी कृष्णैया की बेटी पदमा ने नाराजगी जताई है। हैदराबाद में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।

CM नीतीश कुमार की सफाई

IAS अधिकारी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार सरकार लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले पर सफाई दी है। उन्होंने दावा किया कि बिहार सरकार का ये फैसला केंद्र के ‘मॉडल जेल मैनुअल 2016’ पर आधारित है। सीएम नीतीश ने एक किताब का हवाला देते हुए कहा कि यह मॉडल जेल मैनुअल 2016 की किताब है। कृपया इसे पढ़ें और मुझे बताएं कि क्या कोई प्रावधान कहता है कि अगर कोई आईएएस अधिकारी मारा जाता है, तो दोषी को अपने पूरे जीवन जेल में रहना होगा। देश के किसी भी राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए हमने इसे बिहार में हटा दिया है। आनंद मोहन 15 साल से ज्यादा समय से जेल की सजा काट रहे थे। काफी चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया। उन्होंने पूछा कि क्या आम लोगों और एक सरकारी अधिकारी के लिए जरूरी कानून में कोई अंतर है?

आनंद मोहन की रिहाई..IAS एसोसिएशन विरोध में उतरा

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई से बिहार की ब्यूरोक्रेसी में खलबली है। IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतर आया है। IAS एसोसिएशन ने सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। उनका कहना है कि ऐसे फैसलों से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।

आनंद मोहन की जल्द रिहाई क्यों हुई?
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया।

आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई के आदेश सोमवार को जारी कर दिए गए। आनंद मोहन पर 3 और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।

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