सेना में अग्निवीरों की तर्ज पर अब बैंकों में भी कर्मचारियों की बहाली होगी। यह कर्मचारी कॉन्ट्रेक्ट पर रखे जाएंगे। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक अपना खर्च कम करने के लिए मानव संसाधन संबंधित मुद्दों के लिए एक अलग कंपनी शुरू करने जा रहा है। स्टेट बैंक की ऑपरेशन और सपोर्ट सब्सिडियरी को हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। शुरुआत में यह कंपनी ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी। देश में कॉन्ट्रेक्ट के नाम पर लोगों को कुछ वक्त के लिए जॉब मिल जाता है. लेकिन वो पर्मनेंट नहीं होता.जिसे बंधुआ मजदुर भी कह सकते है. जिनकी जॉब छूटने के बाद कोई अहमियत नहीं होती। यही भारत का निर्माण विगत 8 सालों में में आरएसएस और मोदी जी कर रहे है.
- वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने इस खबर का हवाला देते हुए लिखा है मैं बस इतना जानना चाहता हूँ कि वैसे बैंक कर्मचारी, जिनके व्हाट्स एप ग्रुप में धर्मांध बातें होती हैं, जो राजनीति और आर्थिक नीति के सवालों को एक धर्म के प्रति नफ़रत और एक धर्म के प्रति गौरव से धकेल देते हैं, उनकी इस ख़बर पर क्या प्रतिक्रिया होगी?
- धर्म के नाम की राजनीति से जनता को जो बेवकूफ बनाया गया है, उसकी कोई सीमा नहीं है। धर्म की राजनीति ने जनता की लोकतांत्रिक और आर्थिक चेतना को कुचल दिया है। पिछले आठ साल में ऐसी आर्थिक नीतियाँ लागू हो चुकी हैं, अब उन्हें कोई वापस भी नहीं ले सकता। इसलिए बैंकों के व्हाट्स एप ग्रुप में धर्मांध, अंध राष्ट्रवादी लोगों को इस ख़बर का स्वागत करना चाहिए और माहौल बनाना चाहिए कि एक दिन सरकार उनकी सैलरी ही ज़ब्त कर ले ताकि वे मारे ख़ुशी के ज़मीन पर लोटने लग जाएँ। दुख हो तो मुझे गाली देकर भड़ास निकाल लें। आमीन।
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों की माने तो यह कदम उठाकर बैंक अपना कॉस्ट-टू-इनकम रेश्यो कम करना चाहता है, जो अभी इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से बहुत ऊंचा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे देश में एसबीआई ने बैंक शाखाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में एसबीआई के कुल ऑपरेशन खर्च में वेतन का हिस्सा करीब 45.7 फीसदी था और सेवानिवृत्ति लाभ व अन्य प्रोविजन की हिस्सेदारी 12.4 फीसदी है।
ऑल इण्डिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस जिन कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी वो सभी नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर होंगी। अनुबंध के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को एसबीआई के स्थायी कर्मियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल सकेंगे।
इस नई व्यवस्था का असर पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री पर दिखाई पड़ेगा। एसबीआई ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस भारतीय बैंकिंग जगत में अपनी तरह की पहली सब्सिडियरी होगी। हालांकि अब अन्य बैंक भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कई बैंक पूर्व में आरबीआई के पास इस तरह की सब्सिडियरी बनाने के लिए प्रस्ताव दे चुके हैं लेकिन तब आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। लेकिन अब एसबीआई को अनुमति मिलने के बाद अन्य बैंक भी अपने पुराने प्रस्तावों को एक बार फिर आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई से ऐसी सब्सिडियरी के लिए मंजूरी मांग सकते हैं। इस प्रकार यह अग्निवीर की तरह बैक में भी एक नई बहाली योजना होगी।