प्रमोशन में आरक्षण के मामले में कई सालों बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। शीर्ष न्यायालय ने \कहा कि इस मामले में विस्तृत और राज्यवार सुनवाई की जाएगी. यह फैसला राज्यों के अलग-अलग मुद्दों के मद्देनजर दिया गया है. कोर्ट ने राज्य सरकारों को अपने मुद्दों की पहचान करने और उनकी रिपोर्ट दो हफ्तों में दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि वो देश भर में नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मामलों की 5 अक्तूबर से अंतिम सुनवाई शुरू करेगा. दरअसल केंद्र और राज्यों ने प्रमोशन नीति में आरक्षण से संबंधित मामलों पर तत्काल सुनवाई की मांगकी है. इस मामले में 133 याचिकाएं देश भर से दाखिल की गई हैं. सभी याचिकाओं में राज्य के स्तर पर जटिल समस्याओं को उठाया गया है.
दरअसल, इलाहाबाद, बॉम्बे और दिल्ली हाई कोर्ट समेत कई उच्च न्यायालयों ने इस मामले में अलग-अलग आदेश दिए हैं कि प्रमोशन में आरक्षण लागू होगा या नहीं और अगर लागू होगा तो किस तरह से लागू होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसला दिया है जिसे नागराज जजमेंट कहते हैं, लेकिन फिर भी इस मामले में पूरी तरह से हर मुद्दे पर कन्फ्यूजन दूर नहीं हुआ और कई अनसुलझे सवाल हैं.
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा. आज की सुनवाई में केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा की 2017 से केंद्र सरकार में प्रमोशन में आरक्षण रुका हुआ है. वेणुगोपाल के मुताबिक केंद्र सरकार ने एड हॉक बेसिस पर 4100 नियुक्तियां की हैं. लेकिन ये रेगुलर होंगे या नहीं वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा. फिलहाल, केंद्र में 2500 रिक्त पद हैं, जिनपर नियुक्ति नहीं हो पा रही है. सरकार को समझ नही आ रहा को इसमें नियुक्ति किस तरह से हो.
तीन जजों की बेंच, जिनमें जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं, रिजर्वेशन पॉलिसी के मुद्दे पर दाखिल 133 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने कहा कि रिजर्वेशन पॉलिसी कैसे लागू होगी यह बताने की जरूरत नहीं है, राज्य खुद यह तय करेंगे कि वो इस नीति को कैसे लागू करेंगे. पीठ ने साफ कर दिया है कि वो पिछले फैसले में पहले से तय किए गए मुद्दों को फिर से नहीं खोलेगी. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण नीति कैसे लागू हो ये बताने की जरूरत नहीं है. नागराज फैसले में निर्देश पारित किया गया है कि प्रत्येक राज्य को अंतिम रूप देना है कि वे इसे कैसे लागू करेंगे.
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस मामले में होईकोर्ट भी हस्तक्षेप कर रहे हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को जल्द इस मामले का निपटारा करना चाहिए. एम नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि सरकार को प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़ें जुटाने होंगे.