तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य विधानसभा में प्रस्ताव CAA के विरुद्ध पेश किया है। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act 2019 ) को निरस्त करने का आग्रह किया है। विधानसभा में सीएए के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर बोलते हुए स्टालिन ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम शरणार्थियों के साथ उनकी धार्मिक संबद्धता और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव करने के लिए बनाया गया था, उनकी स्थिति की परवाह किए बिना।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि यह अधिनियम हमारे संविधान में निर्धारित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और भारत में जो सद्भाव कायम है उसके लिए भी अनुकूल नहीं है.
स्टालिन ने कहा, “लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार, समाज के सभी वर्गों के लोगों की आकांक्षाओं और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक देश को शासन करना चाहिए. लेकिन, यह स्पष्ट रूप से देखा गया है कि CAA इस तरह से पारित किया गया था कि यह शरणार्थियों को उनकी दुर्दशा को देखते हुए समर्थन नहीं देता है, बल्कि उनके धर्म और उनके मूल देश के अनुसार भेदभाव करता है.”
स्टालिन ने कहा, देश में एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने और भारत के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए, सदन केंद्र सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को निरस्त करने का आग्रह करते है.
इस कदम के बाद विपक्षी दलों AIADMK, बीजेपी ने विधानसभा में वाकआउट किया. विपक्ष के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने दावा किया कि उन्हें विधानसभा में बोलने का मौका नहीं दिया गया और उन्होंने कहा कि AIADMK सरकार के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई कल्याणकारी योजना को सत्तारूढ़ सरकार ने रोक दिया है.
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण मंजूर नहीं
स्टालिन ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को लेकर भी चिंता प्रकट की । बीते शुक्रवार को केंद्र से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की और कहा कि वे देश के औद्योगीकरण एवं आत्मनिर्भरता लक्ष्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। स्टालिन ने एक दिन पहले विधानसभा में कहा था कि वह इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार स्टालिन ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि ऐसी इकाइयों को लगाने के लिए सरकारी भूमि के अलावा लोगों की जमीन भी दी गयी थी। उन्होंने लिखा है, ”इसलिए लोगों को ऐसे उपक्रमों पर गर्व एवं अधिकार है।”
केद्र की राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह छोटे एवं मझोले उद्योगों एवं वहां कार्यरत कर्मियों पर क्या असर डालेगा। स्टालिन ने कहा कि नाम को छोड़ भी दिया जाए तो देश के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य पर गौर करने से यह पता चलता है कि बडे़ पैमाने पर ऐसे निजीकरण से सरकारी संपत्तियां कुछ ‘समूहों या बड़े निगमों के हाथों में चली जाएंगी।
वहीं, इससे पहले स्टालिन ने कहा था कि श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के कल्याण के लिए जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा, जो नागरिकता और श्रीलंका लौटने वालों के लिए व्यवस्था करने जैसे मामलों के अलावा अन्य चीजों पर दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम करेगी।