बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कर्नाटक के कोप्पल जिले में एक दलित बच्चे के माता पिता पर 25,000 रुपये के जुर्माने को लेकर गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की जबान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है. अब कोई कुछ नहीं बोलेगा, क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाएं, दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करें.
जीतन राम मांझी ने गुरुवार को ट्वीट कर एक खबर की कटिंग शेयर की है. मांझी ने लिखा कि, “ये जो हम कह रहें हैं, बस सदियों का दर्द है, गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया.” बता दें कि अभी हाल ही जीतन राम मांझी ने एक और बयान दिया था जिसको लेकर विवाद हो रहा है. उन्होंने कहा था कि “श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष व्यक्ति थे, ऐसा मैं नहीं मानता, लेकिन रामायण कहानी में जो बातें बताई गई हैं, वो सीखने वाली हैं.”
दरअसल, कर्नाटक के कोप्पल जिले में एक दलित लड़के के माता-पिता पर 23,000 रुपये का जुर्माना इसलिए लगाया गया, क्योंकि उनका 2 साल का बेटा हनुमान मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए चला गया. मामला हनुमानसागर इलाके का है. माता-पिता बच्चे के जन्मदिन पर हनुमान मंदिर ले गए थे.
इस क्षेत्र में जातिवाद इतने चरम पर है की दलितों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, वे हमेशा बाहर से मंदिर के सामने खड़े होकर प्रार्थना करते थे. पिता अपने बेटे के साथ बाहर था, उत्साह में बच्चा भागकर मंदिर के अंदर चला गया. खबर के मुताबिक घटना चार सितंबर की बताई जा रही है. मीडिया में आई इसी खबर को लेकर जीतन राम मांझी ने ट्वीट किया है.