उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण वोटरों को साधने की रणनीति बना रही हैं। बीएसपी के प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी (ब्राह्मण सम्मेलन) ने सभी पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। बसपा अध्यक्ष मायावती की राह पर अखिलेश यादव भी चल पड़े हैं। कानपुर-बुंदेलखंड में आने वाले सभी जिला इकाईयों के ब्राह्मण नेताओं को संजोने की तैयारी शुरू कर दी गई है। ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए ब्राह्मण नेताओं को फ्रंट पर रखा जाएगा।
बीजेपी ब्राह्मण वोटरों को अपना परंपरागत वोटर मानती है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि हमने 1989 से पहले यूपी को 6 ब्राह्मण सीएम दिए हैं। किसी कारण से ब्राह्मण वोटर नाराज हैं, लेकिन उनकी घर वापसी हो जाएगी। एसपी भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवाने की बात कर ब्राह्मण वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रही है। वहीं बीएसपी ब्राह्मण वोटरों को 2007 का मॉडल दिखाकर उनकी सबसे बड़ी हितैषी बन रही है।
बीएसपी ने आयोध्या से प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी (ब्राह्मण सम्मेलन) कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। बीएसपी का चुनावी बिगुल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है। अखिलेश को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं एसपी के ब्राह्मण नेता टूटकर बीएसपी का दामन न थाम लें। समाजवादी पार्टी प्रदेश के सभी जिलों में ब्राह्मण नेताओं को एकजुट कर संजोए रखने का काम कर रही है। इसके साथ ही ब्राह्मण नेताओं को नई जिम्मेदारियां भी दी जाने वाली हैं।
इसके साथ ही ब्राह्मण वोटरों को साधने की जिम्मेदारी भी ब्राह्मण नेताओं को सौंपी गई है। समाजवादी पार्टी बूथ स्तर पर जाकर ब्राह्मण वोटरों को जुटाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एक बड़े अभियान की शुरुआत होने वाली है। प्रियंका गांधी ने जब से यूपी की कमान संभाली है, लगभग सभी जिलों में नई जिला कार्यकारिणी का गठन किया है, जिसमें ब्राह्मण नेताओं को सबसे ज्यादा तरजीह दी गई है। वहीं एसपी भी अब ब्राह्मण नेताओं को पार्टी में सक्रिय कर रही है।