कुछ पांच हजार साल पहले खत्म हो चुकी सिंधु घाटी सभ्यता आज भी इतिहासकारों को रोमांचित करती है। एक ताजा शोध में पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को मांस बेहद प्रिय था। उनके खान-पान में मांस प्रमुख आहार था और बीफ भी खूब खाया जाता था। ‘जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइंस’ में प्रकाशित कैम्बिज यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर अक्षयेता सूर्यनारायण ने अपनी स्टडी में यह दावा किया है। अक्षयेता ने अपनी पीएचडी थीसिस में सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तनों पर चर्बी के अवशेषों पर शोध किया। इनमें सुअरों, मवेशियों, भैंसों, भेड़ों और बकरियों के मांस की अधिकता मिली। प्राचीन उत्तर-पश्चिमी भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों में मिले पुरातन बर्तनों में दूध से बनी कई चीजों के अवशेष भी पाए गए। वर्तमान में यह इलाका हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पड़ता है।
अक्षयेता ने ‘उत्तर पश्चिमी भारत में सिंधु सभ्यता से मिट्टी के बर्तनों में चर्बी के अवशेष’ नाम से अपनी स्टडी तैयार की है। रिसर्च में पुणे के डेक्कन कॉलेज के पूर्व वाइस-चांसलर और नामी आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर वसंत शिंदे और बीएचयू के प्रोफेसर रवींद्र एन सिंह ने भी अपना योगदान किया है। कैम्बिज यूनिवर्सिटी के कई लोग भी इस रिसर्च प्रोसेस का हिस्सा रहे। फोकस पांच गांवों पर रहा।
- आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश)
- मसूदपुर, लाहौरी राघो (हिसार, हरियाणा)
- खनक (भिवानी, हरियाणा
- फरमाना कस्ब (रोहतक)
- राखीगढ़ी (हिसार)
इन इलाकों से खुदाई में मिले 172 बर्तनों/बर्तन के टुकडों पर रिसर्च की गई। अक्षयेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि अबतक हुए ज्यादातर शोध सिंधु घाटी सभ्यता में क्या उगाया जाता था, इसपर फोकस रहे। उनकी स्टडी ये बताती है कि सिंधु घाटी संभ्यता के घरों की रसोइयों में आखिर पकता क्या था।
स्टडी के मुताबिक, बर्तनों में जिन जानवरों की हड्डियां मिली हैं, उनमें मवेशियों/भैंसों की संख्या 50% से 60% के बीच है। भेड़/बकरियों का हिस्सा 10% के आसपास रहा। मवेशियों की हड्डियों की प्रमुखता से रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया है कि सांस्कृतिक रूप से सभ्यता के लोग बीफ बड़े चाव से खाते थे। मटन भी खाया जाता था। स्टडी के अनुसार, 90% मवेशियों को तब तक जिंदा रखा जाता था जब तक वे तीन-साढ़े तीन साल के नहीं हो जाते थे। अनुमान यह है कि मादाओं का इस्तेमाल दूध के लिए होता था जबकि नरों से खेती-वाहन का काम लिया जाता था।
अक्षयेता की रिसर्च के अनुसार, जंगली जानवरों का मांस कम खाया जाता था। हालांकि ग्रामीण और शहरों, दोनों जगह के अवशेषों में हिरन, बारहसिंघा, चीतल, पक्षियों और जलीय जंतुओं के अंश भी मिले हैं, लेकिन कम मात्रा में। रिसर्चर्स का अनुमान है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के आहार में हर तरह के तत्व शामिल थे।