कर्नाटक इतिहास अकादमी ने रिसर्च किया है कि कर्नाटक के कुछ भागों में बुद्ध की माँ की पूजा Bananthi Kallu के रूप में होती है ….
जिस परिवार जब किसी बच्चे का जन्म होना होता है, तब गजलक्ष्मी के रूप में पूजित बुद्ध की माँ की मूर्ति चेहरा नीचे कर रखी जाती है….
फिर जब बच्चे का जन्म सफलतापूर्वक हो जाता है, तब पुनः मूर्ति को अपने मूल स्वरूप में रख दिया जाता है….
आप जो सोचते हैं कि बुद्धिज्म की परंपरा मिट गई है तो सही नहीं है, अनेक बुद्धिज्म की परंपराएँ सतह के नीचे आज भी जारी हैं….
आज सतह के नीचे प्रवाहित बुद्धिज्म की परंपरा को पकड़ने की जरूरत है, पकड़ना आसान तो नहीं है, मगर पकड़ी जा सकती हैं ….