सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अरुण मिश्रा बुधवार को अपना पदभार संभालेंगे। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय नियुक्ति समिति ने अरुण मिश्रा की नियुक्ति पर सोमवार को मुहर लगाई थी। जस्टिस अरुण मिश्रा की नियुक्ति पर विवाद भी खड़ा होता दिख रहा है। उनकी नियुक्ति का ऐलान होते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्यों की चयन की प्रक्रिया से खुद को अलग करने का ऐलान कर दिया है।
बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा अपने कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी की उत्कंठ प्रशंसा करने के लिए चर्चित रहे हैं। इसके साथ ही कई मामलों में उनके फैसले और टिप्पणी विवादित रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस रहते हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित और बहुमुखी प्रतिभा वाले इंसान हैं। ऐसे में अरुण मिश्रा की नियुक्ति पर सवाल उठना स्वभाविक है। जस्टिस अरुण शर्मा ने लाखों आदिवासियों को विस्थापित करने के सन्दर्भ में उनके खिलाफ जजमेंट दिया था. शर्मा का हमेशा विवादों से नाता रहा है.शर्मा ने रिटायर्ड होने के बाद भी अनधिकृत रूप से सरकारी बंगलें पर कब्ज़ा जमाया था
प्रो। दिलीप मंडल लिखते है EVM घोटाले को जस्टिस अरुण मिश्रा ने ही क़ानूनी मान्यता दी। मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन पद के लिए ये आदमी सर्वथा अनुपयुक्त है।, मानवाधिकार आयोग में ज़्यादातर मामले SC-ST के आते हैं। SC-ST विरोधी अरुण मिश्रा को वहाँ का चेयरमैन न बनाया जाए। वो जज अरुण मिश्रा थे, जिनके दामाद के बच्चे के मुंडन में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी मौजूद थे। वो फंक्शन अरुण मिश्रा के सरकारी घर पर हुआ था। मिश्रा ने मोदी को फ़ायदा पहुँचाने वाले कई फ़ैसले सुनाए। मिश्रा को मोदी ने अब मानवाधिकार आयोग का चेयरमैन बना दिया है। #ShameonArunMishra
रिज़र्वेशन के ख़िलाफ़ लगातार फ़ैसला देने वाले जज अरुण मिश्रा को नरेंद्र मोदी ने रिटायरमेंट के बाद का तोहफ़ा दिया है। वे अब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन होंगे। इस नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा और सुविधाएँ मिलेंगी। #ShameonArunMishra
आदिवासी इलाक़ों में आदिवासी टीचर्स की नियुक्ति के ख़िलाफ़ फ़ैसला देने वाले जातिवादी जज अरुण मिश्रा को नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकार आयोग का चेयरमैन बनाया है। बिल्ली अब चूहों की हिफ़ाज़त करेगी! #ShameonArunMishra
न्यायिक इतिहास के सबसे भ्रष्ट और जातिवादी जज अरुण मिश्रा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन बनाए गए हैं। इनके पापा हरगोविंद मिश्रा जज थे। अरुण मिश्रा ने अपने भाई विशाल को हाई कोर्ट का जज बना दिया। इन्हीं के करप्शन के ख़िलाफ़ 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। #ShameonArunMishra
KRANTI KUMAR लिखते है, सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा को 2019 से 2020 के बीच अडानी से संबंधित सात केस मिले. इन सातों केस में फैसला अडानी के पक्ष में दिया. आखरी केस 2 सितंबर 2020 का है जिसमें अडानी के पक्ष में फैसला आने से अडानी विद्युत कंपनी को 8000 करोड़ का लाभ हुआ. अडानी का दलाल NHRC का चीफ बना है ! सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नितिन मेश्राम लिखते है अरूण मिश्रा पर आरोप था की वो जज लोया के आरोपीयों को बचा रहा था और बीजेपी/सरकार के कहने पर न्याय के साथ बदमाशी कर रहा था. #ShameonArunMishra इससे पूर्व जस्टिस आदर्श कुमार गोयल जिन्होंने SC-ST एक्ट के खिलाफ जजमेंट दिया था, उन्हें मोदी सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बना दिया था.